बुधवार, 11 सितंबर 2019

Hindi Literature (For Competition) हिंदी साहित्य (प्रतियोगी परीक्षा के लिए)

Hindi  Literature (For Competition)  हिंदी साहित्य (प्रतियोगी परीक्षा के लिए)
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 [व्याकरण प्रश्न】
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1. देवनागरी लिपि को राष्ट्रलिपि के रूप में कब स्वीकार किया गया था?
1)14 सितम्बर, 1949✓✓
2)21 सितम्बर, 1949
3)23 सितम्बर, 1949
4)25 सितम्बर, 1949

2. 'रानी केतकी की कहानी' की भाषा को कहा जाता है-
1)हिन्दुस्तानी
2)खड़ी बोली✓✓
3)उर्दू
4)अपभ्रंश

3. प्रादेशिक बोलियों के साथ ब्रज या मध्य देश की भाषा का आश्रय लेकर एक सामान्य साहित्यिक भाषा स्वीकृत हुई, जिसे चारणों ने नाम दिया-
1)डिंगल भाषा
2)मेवाड़ी भाषा
3)मारवाड़ी भाषा
4)पिंगल भाषा✓✓

4. निम्नलिखित में से कौन-सी प्रेमचंद की एक रचना है?
1)पंच-परमेश्वर✓✓
2)उसने कहा था
3)ताई
4)रामायण
◆'मुंशी प्रेमचंद' का वास्तविक नाम धनपत राय श्रीवास्तव था।

5. वीर रस का स्थायी भाव क्या होता है?
1)रति
2)उत्साह✓✓
3)हास्य
4)परिहास

6. 'कोई' विशेषण है ?
(A) परिमाणवाचक विशेषण
(B) सार्वनामिक विशेषण
(C) गुणवाचक विशेषण
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-  सार्वनामिक विशेषण

7. 'तुम जा रहे हो' ये कौन-सा काल है ?
(A) वर्तमानकाल
(B) भूतकाल
(C) भविष्यत्काल
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर- भूतकाल

8. नाक कौन-सा लिंग है ?
(A) पुलिंग
(B) स्त्रीलिंग
(C) (A) (B) दोनों
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर- स्त्रीलिंग

9. समास कितने प्रकार के होते हैं ?
(A) 2
(B) 4
(C) 6
(D) 8
उत्तर -6  

10. नवयुवक कौन-सा समास है ?
(A) कर्मधारय
(B) बहुव्रीहि
(C) द्वंद्व
(D) द्विगु
उत्तर-  कर्मधारय

11. प्रतिदिन कौन-सा समास है ?
(A) बहुव्रीहि
(B) द्वंद्व
(C) अव्ययीभाव
(D) द्विगु
उत्तर- अव्ययीभाव

12. देशभक्ति कौन-सा समास है ?
(A) कर्मधारय
(B) तत्पुरुष
(C) द्वंद्व
(D) द्विगु
उत्तर- तत्पुरुष

13. नीलकंठ कौन-सा समास है ?
(A) कर्मधारय
(B) बहुव्रीहि
(C) अव्ययीभाव
(D) तत्पुरुष
उत्तर- बहुव्रीहि

14. पाप-पुण्य कौन-सा समास है ?
(A) द्विगु
(B) अव्ययीभाव
(C) द्वंद्व
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर- द्वंद्व

15. दोपहर कौन-सा समास है ?
(A) तत्पुरुष समास
(B) कर्मधारय समास
(C) बहुव्रीहि समास
(D) द्विगु समास
उत्तर-  द्विगु समास

16. रचना की दृष्टि से शब्दों के कितनें भेद हैं ? 
 3 

17. संज्ञा के कितनें भेद हैं ?
 5 

18. विकारी और अविकारी शब्दों के कितनें भेद हैं ?
 8 

19. 'यथासमय' समास है ?
अव्ययीभाव

20. 'प्रत्येक' समास है ?
अव्ययीभाव

21. 'तिरंगा' है ?
बहुव्रीहि समास

22. 'कवि' का स्त्रीलिंग रूप क्या है ?
 कवयित्री

23. 'सूर्य' का स्त्रीलिंग रूप क्या है ?
 सूर्या

24. 'पेड़ से फल गिरा' इस वाक्य में 'से' किस कारक की विभक्ति है ?
अपादान

25. 'वह कुल्हाड़ी से वृक्ष काटता है' इस वाक्य में 'से' किस कारक की विभक्ति है ?
 करण

26. 'माँ ने बच्चे को सुलाया' इस वाक्य में 'को' किस कारक की विभक्ति है ?
कर्म

27. 'अध्यापक' शब्द का स्त्रीलिंग रूप क्या है ?
अध्यापिका

28. 'नायक' शब्द का स्त्रीलिंग रूप क्या है ?
नायिका

29. 'महाशय' शब्द का स्त्रीलिंग रूप क्या है ?
महाशया
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1. किस शब्द की वर्तनी अशुद्ध है? 
(a) लंगड़ (b) बुझक्कड़ (c) कोंकण (d) भुख्खड़ (Ans : d)

2. किस शब्द की वर्तनी अशुद्ध है? 
(a) निरनुनासिक (b) छिद्रान्वेशी (c) गत्यर्थ (d) अन्तश्चेतना (Ans : b)

3. कौनसा वाक्य शुद्ध है? 
(a) आपका शासन सम्बन्धी कार्य अधिक विख्यातपूर्ण है 
(b) आपको भूमि-भवन वाहन का अभिनव सुख की प्राप्ति होगी 
(c) यह समाचार पूरे देशभर में तुरन्त फैल गया 
(d) तुम्हे कल कुछ हो जाये तो में कहीं का नहीं रहूँगा (Ans :d)

4. कौनसा वाक्य शुद्ध है? 
(a) रोगी अपनी कमजोरियों के कारण उठ तक नहीं पा रहा था 
(b) राजपथ की सड़क से झाँकियाँ वापस लौट गईं 
(c) शिकारी उस पर गोली चलाई पर वह शेर बच निकला 
(d) उस समय रखना चलाना भी एक अनुशासन था (Ans :d)

5. निम्नलिखित में शुद्ध वर्तनी वाला शब्द है– 
(a) कवयित्री (b) कवियित्री (c) कवियत्री (d) ​कवित्री (Ans :a)

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📍📍हिन्दी साहित्य प्रश्नोतरी📍📍
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1. किस नाटककार ने अपने नाटकों के लिए रंगमंच को अनिवार्य नहीं माना है? – जयशंकर प्रसाद
2. किस पुस्तक का 15 भारतीय भाषाओं और 40 विदेशी भाषाओं में अनुवाद किया जा चुका है? – पंचतंत्र
3. किस भाषा को द्रविड़ परिवार की सभी भाषाओं की जननी कहा जाता है? – तमिल
4. किस भाषा को भारतीय आर्य भाषाओं की जननी, भारतीय आर्य संस्कृति का आधार, देवभाषा आदि नामों से जाना जाता है? –  संस्कृत
5. किस युग को ‘चाल्कोलिथिक एज’ कहा जाता है? –  ताम्रपाषाण युग को
6. किस रचना की सर्वाधिक टीकाएँ लिखी गई हैं? – बिहारी सतसई
7. 'कुटज' के रचयिता कौन हैं? – हजारी प्रसाद द्विवेदी 
8. केरल राज्य की राजकीय भाषा क्या है? – मलयालम
9. कौनसी भाषा ऑस्ट्रिक समूह से सम्बन्धित है? – खासी
10. खड़ी बोली के सर्वप्रथम लोकप्रिय कवि कौन माने जाते है? –  अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' 
11. खड़ीबोली का अरबी-फ़ारसीमय रूप क्या है? – उर्दू भाषा
12. 'गंगा छवि वर्णन' (कविता) के रचनाकार कौन हैं? – भारतेन्दु हरिश्चन्द्र 
13. 'गागर में सागर' भरने का कार्य किस कवि ने किया है? –  बिहारी 
14. गाथा (गाहा) कहने से किस लोक प्रचलित काव्यभाषा का बोध होता है? – प्राकृत
15. गुप्त वंश का संस्थापक कौन था? – श्रीगुप्त
16. 'गोदान' किसकी कृति है? – प्रेमचंद 
17. गौतम बुद्ध ने अपने उपदेश सबसे अधिक किस स्थान पर दिए? – श्रावस्ती में
18. घनिष्ठ की शुद्ध उत्तरावस्था क्या है? – घनिष्ठतर
19. चंदरबरदाई किसके दरबारी कवि थे? – पृथ्वीराज चौहान के 
20. चन्दन विष व्याप्त नहीं, लिपटे रहत भुजंग- इस प्रस्तुत पंक्ति के रचयिता कौन हैं? – रहीम 
21. 'चरणदास चोर' किसकी नाट्य कृति है? – हबीब तनवीर 
22. 'चाँद का मुँह टेढ़ा है' (काव्य) के रचयिता कौन हैं? – गजानन माधव 'मुक्तिबोध' 
23. चारु शब्द की शुद्ध भावात्मक संज्ञा क्या है? – चारुता
24. 'चिन्तामणि' के रचयिता कौन हैं? – रामचन्द्र शुक्ल 
25. चीनी यात्री ह्नेनसांग सर्वप्रथम किस भारतीय राज्य पहुँचा? –  कपिशा
26. चीनी-तिब्बती भाषा समूह की भाषाओं के बोलने वालों को कहा जाता है? – निषाद
27. छायावाद के प्रवर्तक का क्या नाम है? – जयशंकर प्रसाद
28. 'जनमेजय का नागयज्ञ' किसकी कृति हैं? – जयशंकर प्रसाद
29. देवनागरी लिपि को राष्ट्रलिपि के रूप में कब स्वीकार किया गया था? – 14 सितम्बर, 1949
30. जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन तैसी। इस पंक्तियों के रचयिता कौन हैं? – तुलसीदास 
31. जो अपनी जान खपाते हैं, उनका हक उन लोगों से ज़्यादा है, जो केवल रुपया लगाते हैं। यह कथन गोदान के किस पात्र द्वारा कहा गया है? – महतो
32. जो जिण सासण भाषियउ सो मई कहियउ सारु। जो पालइ सइ भाउ करि सो तरि पावइ पारु॥ इस दोहे के रचनाकार का नाम क्या है? – देवसेन
33. ज्ञानपीठ पुरस्कार किस क्षेत्र में श्रेष्ठ कार्य के लिए दिया जाता है? – साहित्य 
34. ज्ञानमार्गी शाखा के कवियों को किस नाम से पुकारा जाता है? – संत कवि 
35. झरना (काव्य संग्रह) के रचयिता कौन हैं? – जयशंकर प्रसाद
36. डोगरी भाषा मुख्य रूप से कहाँ बोली जाती है? – जम्मू कश्मीर
37. ढाई अक्षर प्रेम के, पढ़ै सो पंडित होय। इस पंक्ति के रचयिता कौन हैं? – कबीर दास 
38. तक्षशिला नगर किन नदियों के मध्य स्थित था? – सिंधु व झेल
39. तरनि-तनूजा-तट तमाल तरुवर बहु छाए। इस पंक्ति के रचयिता कौन हैं? – भारतेन्दु हरिश्चन्द्र 
40. तरुवर फल नहिं खात है, सरवर पियहिं न पान। इस पंक्ति के रचयिता कौन हैं? – रहीम 
41. 'तितली' किसकी रचना है? – जयशंकर प्रसाद 
42. तुलसीदास का वह ग्रंथ कौन-सा है, जिसमें ज्योतिष का वर्णन किया गया है? – रामाज्ञा प्रश्नावली
43. तुलसीदास ने अपनी रचनाओं में किसका वर्णन किया हैं? –  राम 
44. 'तोड़ती पत्थर' (कविता) के कवि कौन हैं? – सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' 
45. 'तोड़ती पत्थर' कैसी कविता है? – थार्थवादी 
46. 'त्यागपत्र' (उपन्यास) किसकी रचना है? – जैनेन्द्र कुमार 
47. दरवाजे से चंडालगढ़ी की तरफ नजर दौड़ाने पर एक अद्भुत दृश्य दिखाई देता था।- इस पंक्ति के रचनाकार कौन हैं? – राहुल सांकृत्यायन 
48. रामचरितमानस में प्रधान रस के रूप में किस रस को मान्यता मिली है? – भक्ति रस
49. दुःख ही जीवन की कथा रही। क्या कहूँ आज जो नहीं कही।। इस पंक्तियों के रचयिता का नाम क्या है? – सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' 
50. दुरित, दुःख, दैन्य न थे जब ज्ञात, अपरिचित जरा-मरण-भ्रू पात।। इस पंक्ति के रचनाकार कौन हैं? – सुमित्रानंदन पंत
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📍📍प्रमुख कवियों/लेखकों के उपनाम📍📍
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1. आदि कवि. =वाल्मीकि   
2. अपभ्रंश का वाल्मीकि. =स्वयंभू
3. अभिनव जयदेव. =विद्यापति                  
4. हिंदी का प्रथम कवि. =सरहपा                     
5. प्रथम सूफी कवि. =असाइत.              
6. जड़िया कवि. =नंददास.      
7. वात्सल्य रस सम्राट. =सूरदास.               
8. हिंदी का जातीय कवि. =तुलसीदास.          
9. कठिन काव्य का प्रेत. =केशवदास.             
10. पुराने पंथ का पथिक. =मतिराम.            
11. प्रेम की पीर का कवि. =घनानंद.          
12. हिंदी नवजागरण का अग्रदूत. =भारतेंदु   
13. हिंदी साहित्य में आधुनिकता के जन्मदाता= भारतेंदु   
14. नियम नारायण शर्मा. =म. प्र. द्विवेदी 
15. कल्लू अल्हइत. =म. प्र. द्विवेदी             
16. कवि सम्राट. =अयोध्या सिंह उपाध्याय.            
17. राष्ट्र कवि. =मैथिलीशरण गुप्त.        
18. आधुनिक कविता के सुमेरू. =जयशंकर प्रसाद.              
19. कठिन गद्य का प्रेत. =अज्ञेय.               
20. कवियों का कवि. =शमशेर बहादुर सिंह.    
21. बुंदेलखंड का चंदरबरदाई. =वृंदावन लाल वर्मा      
22. मुनिमार्ग के हिमायती. =रामचंद्र शुक्ल.             
23. स्वच्छंदतावादी आलोचक. =नंददुलारेवाजपेयी   
24. रसवादी आलोचक. =नगेंद्र.            
25. मैथिल कोकिल. =विद्यापति          
26. हिंदुस्तान की तुती. =अमीर खुसरो        
27. अष्टछाप/पुष्टिमार्ग का जहाज. =सूरदास.            
28. जबाँदानी का दावा रखने वाला कवि=घनानंद.      
29. प्रकृति का सुकुमार कवि. =सुमित्रा नंदन पंत.         
30. आधुनिक मीरा. =महादेवी वर्मा     
31. एक भारतीय आत्मा. =माखन लाल चतुर्वेदी 
 32. फैंटेसी का कवि. =मुक्तिबोध.         
33. कलम का सिपाही/ कलम का मजदूर =प्रेमचंद.



*कुछ प्रमुख आधुनिक उपन्यास व उपन्यासकार* 
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१- *मिस सैम्युअल एक यहूदी गाथा* -- शीला रोहेरकर
२- *बर्फ आशना परिंदे* - तरन्नुम रियाज
३- *साथ चलते हुए* -- जय श्री राय
४- *बारी बारणा खोल दो* -- सुलोचना रांगेय राघव
५- *महामोह* -- डॉ प्रतिभा राय
६- *महामाया* -- सुशील चतुर्वेदी
७- *सोनबरसा* -- ज्योतिष जोशी
८- *गर्भगृह में नैनीताल* - विद्यासागर नौटियाल
९- *सृजन का रसायन* -- शिवमूर्ति
१०- *अनहदनाद* -- प्रताप सहगल
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📍📍हिन्दी साहित्य प्रश्नोतरी📍📍
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1 हिंदी का गोल्ड स्मिथ किसे कहा जाता है ।
उतर:----श्री सियारामशरण गुप्त 

2  हिन्दी का टेनिसन किसे कहा जाता है 
उत्तर:----बाबू जगन्नाथ दास

3 बिहार का महावीर प्रसाद द्विवेदी किसे कहा जाता है
उतर:----आचार्य शिवपूजन सहाय 

4 हिन्दी का लघु प्रसाद किसे कहा जाता है
उतर:----जगदीश चन्द्र माथुर

5 आधुनिक रसखान किसे कहा जाता है
उतर:---श्री अब्दुल रसीद 

6 आधुनिक रहीम किसे कहा जाता है
उतर:----मिर्जा नासिर हसन

7 शब्द सम्राट कोश किसे कहा जाता है
उतर:----बाबू श्याम सुंदर दास 

8 साहित्य का महारथी किसे कहा जाता है
उतर:----आचार्य रामचंद्र शुक्ल जी 

9 हिन्दी का गालिब किसे कहा जाता है
उतर:-----बिहारी

10 हिन्दी का मिल्टन किसे कहा जाता है
उतर:---केशवदास

11 युग का वैतालिक किसे कहा जाता है
उतर:-----भारतेंदु जी

12 पूरे ऋषि किस अष्टछापी कवि को कहा जाता है
उतर:----कुम्भनदास 

13 ऊंची योग्यता का कवि किसे कहा जाता है
उतर:----गद्दाधर भट्ट

14 हिन्दी का लैम्ब किसे कहा जाता है
उतर:----प्रताप नारायण मिश्र

15 हिन्दी का मम्मट किसे कहा जाता है
उतर:----पण्डित रामदिन मिस्र

16 अवतारी पुरुष किस कवि को कहा जाता है
उतर:----महावीर प्रसाद द्विवेदी 

17 हिन्दी का इलिएट किसे कहा जाता है
उतर:-----अज्ञेय जी

18 छोटे निराला किस कवि को कहा जाता है
उतर:---- जानकी बल्लभ शास्त्री

19 हिन्दी का मल्लिनाथ किसे कहा जाता है
उतर:----राजा लक्ष्मण सिंह

20 आधुनिक काल का पघाकर किसे कहा जाता है
उतर:----बाबू जगन्नाथ दास ।

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📍📍 हिन्दी साहित्य प्रश्नोतरी📍📍
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1. जहाँ एक स्थान से उच्चरित होने वाले समान वर्णो की आवृत्ति हो वहाँ कौन सा अलंकार होता है ?
A. अन्त्यानुप्रास
B. वृत्यनुप्रास
C. श्रुत्यनुप्रास●
D. लाटानुप्रास

2. उजली नगरी चतुर राजा की लेखिका ??
A. मन्नू भण्डारी●
B. अनामिका
C. पुष्पा भारती
D. मृदुला गर्ग

3. प्रेमाश्रम उपन्यास में कहाँ के किसानों की कथा वर्णित है
A. मिर्जापुर
B. अवध●
C. बनारस
D. अखैपुर

4. विश्व साहित्य मे जब कभी भारतीय कहानियों की बात होगी तो प्रेमचन्द के साथ जैनेन्द्र को जरुर याद किया जाएगा । कथन किसका है?
A. शुक्ल
B. अशोक वाजपेयी
C. राजेन्द्र यादव
D. नामवर सिंह●

5. तपोभूमि उपन्यास ऋषभचरण जैन ने किसके सहयोग से लिखा
A. जैनेन्द्र●
B. अज्ञेय
C. राजेन्द्र यादव
D. अमृतराय

6. गृह मंत्रालय से राजभाषा पर केन्द्रित कौनसी पत्रिका प्रकाशित होती है?
A. भाषा
B. समकालिन साहित्य
C. इन्द्रप्रस्थ भारती
D. राजभाषा भारती●

7. शब्द के संकोच का कथाकार किसे कहा जाता है
A. अज्ञेय
B. राजेन्द्र यादव
C. अमृत राय
D. जैनेन्द्र●

8. जैनेन्द्र की रचना काम  प्रेम और परिवार  किस विधा की है
A. कहानी
B. उपन्यास
C. निबन्ध●
D. नाटक

9. डॉ ओकारनाथ त्रिपाठी ने किस काव्यान्दोलन को शुरु किया?
A. समकालीन कविता
B. सहज कविता
C. कैप्सूल कविता●
D. विचार कविता

10. प्रतिबद्ध हूँ/संबद्ध हूँ/आबद्ध हूँ यह किस कवि की घोषणा है?
A. निराला
B. नागार्जुन●
C. मुक्तिबोध
D. उदय प्रकाश

11. अपरुप का कवि  किसे कहा जाता है?
A. विद्यापति●
B. अमीर खुसरो
C. चंदबरदाई
D. नरपतिनाल्ह

12. आहचरज देखे सुने विस्मय बाढत चित्त  पंक्ति है
A. भिखारीदास●
B. देव
C. कुलपति
D. श्रीपति

13. भोलानाथ तिवारी के अनुसार हिन्दु शब्द का प्रथम प्रयोग किस कृति मे मिलता है
A. जफरनामा
B. खालिकबारी
C. निशीथचूर्णि●
D. हिन्दुग

14. साहित्यक अपभ्रंश ‘को पुरानी हिंदी किसने कहा।
A. शिवसिंह सैंगर
B. मिश्र बंधु
C. राहुल सांकृत्यायन●
D. हजारी प्रसाद द्विवेदी

15. अपने को कौटुम्बिक कवि मात्र  कहने वाला कवि कौन है।
A. हरिऔधजी
B. मैथली शरण गुप्त●
C. प्रसादजी
D. निरालाजी

16. छप्पय छंद किस रासोकार का प्रिय छंद है ?
A. दलपति विजय
B. शारंगधर
C. नरपति नाल्ह
D. चन्दबरदाई●

17. आचार्य विश्वनाथ ने निम्नलिखित काव्यशास्त्रीय प्रबंध प्रस्तुत किया.
1)रसगंगाधर
2)रसरहस्य
3)साहित्य दर्पण●
4)काव्यादर्श

18. पृथ्वीराज रासो को अर्द्धप्रामाणिकमानने वाले है ?
A. डॉ . दशरथ शर्मा
B. रामचंद्र शुक्ल
C. बाबू श्यामसुन्दरदास
D. हजारी प्रसाद द्विवेदी●

19. कौन सा युग्म असंगत है-
1-राजा निरबंसिया-कमलेश्वर
2-मंत्र-प्रेमचंद
3-तीसरी कसम-फणीश्वरनाथ रेणु
4-परिंदे-उपेंद्रनाथ अश़्क●

20. सरबु नरक ठिकाना नाही किस कवि की रचना है?
A. श्रीधर पाठक
B. महावीर प्रसाद द्विवेदी●
C. सोहनलाल द्विवेदी
D. नाथुराम शर्मा

21. हिंदी साहित्य का वैज्ञानिक इतिहास ग्रंथ है-
1-डा.नगेंद्र
2-गणपति चंद्रगुप्त●
3-श्याम सुंदर दास
4-कोई नही

22. पृथ्वीराज रासो को शुक-शुकी संवाद द्वारा रचित किसने माना है?
1-बच्चन सिंह
2-शुक्ल
3-हजारी प्रसाद●
4-नगेंद्र जी

23. किस छायावादी कवि नहीं संवाद शैली का सर्वाधिक उपयोग किया है
A. जयशंकर प्रसाद
B. सुमित्रानंदन पंत
C. महादेवी वर्मा
D. सूर्यकांत त्रिपाठी निराला●

24. भारत में संस्कृत माँ; हिन्दी बहुरानी; ओर अंग्रेजी नोकरानी है किस विद्वान का कथन है ?
A. फादर क़ामिल बुल्क●
B. गणपति चंद्र गुप्त
C. रामकुमार वर्मा
D. बच्चन जी

25.  जिंदगीनामा उपन्यास की लेखिका हैं-
1-कृष्णा सोबती●
2-शिवानी
3-मृदुला गर्ग
4-कोई नही
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*तुलसीदास का सम्पूर्ण परिचय*

जन्म-मृत्यु – 1532-1623 ई.
पिता – आत्माराम दूबे
माता – हुलसी
पत्नी – रत्नावली
दीक्षा गुरु – नरहर्यानन्द
शिक्षा गुरु – शेष सनातन
तुलसीदास के जन्म स्थान के विषय में मतभेद है, जो निम्न हैं –

⇒ लाला सीताराम, गौरीशंकर द्विवेदी, हजारी प्रसाद द्विवेदी, रामनरेश त्रिपाठी, रामदत्त भारद्वाज, गणपतिचन्द्र गुप्त के अनुसार – तुलसीदास का जन्म स्थान – सूकर खेत (सोरों) (जिला एटा)

⇒ बेनीमाधव दास, महात्मा रघुवर दास, शिव सिंह सेंगर, रामगुलाम द्विवेदी, आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के अनुसार तुलसीदास का जन्म स्थान – राजापुर (जिला बाँदा)

⇒ आचार्य रामचन्द्र शुक्ल तुलसीदास को ’स्मार्त वैष्णव’ मानते हैं।

⇔ आचार्य शुक्ल के अनुसार ’हिन्दी काव्य की प्रौढ़ता के युग का आरम्भ’ गोस्वामी तुलसीदास द्वारा हुआ।

⇒ तुलसीदास के महत्त्व के सन्दर्भ में विद्वानों की कही गई उक्तियाँ निम्न हैं –

विद्वान                प्रमुख कथन
नाभादास            कलिकाल का वाल्मीकि
स्मिथ                  मुगलकाल का सबसे महान व्यक्ति
ग्रियर्सन               बुद्धदेव के बाद सबसे बङा लोक-नायक
मधुसूदन सरस्वती आनन्दकानने कश्चिज्जङगमस्तुलसी तरुः।
कवितामंजरी यस्य रामभ्रमर भूषिता।।
रामचन्द्र शुक्ल       ‘‘इनकी वाणी की पहुँच मनुष्य के सारे भावों व्यवहारों तक है।
एक ओर तो वह व्यक्तिगत साधना के मार्ग में विरागपूर्ण शुद्ध भगवदभजन का उपदेश करती है दूसरी ओर लोक पक्ष में आकर पारिवारिक और सामाजिक कर्तव्यों का सौन्दर्य दिखाकर मुग्ध करती है।’’
रामचन्द्र शुक्ल         यह एक कवि ही हिन्दी को प्रौढ़ साहित्यिक भाषा सिद्ध करने के लिए काफी है।
रामचन्द्र शुक्ल         तुलसीदासजी उत्तरी भारत की समग्र जनता के हृदय मन्दिर में पूर्ण प्रेम-प्रतिष्ठा के साथ विराज रहे हैं।
हजारीप्रसाद द्विवेदी  भारतवर्ष का लोकनायक वही हो सकता है जो समन्वय करने का अपार धैर्य लेकर आया हो।
रामविलास शर्मा          जातीय कवि
अमृतलाल नागर         मानस का हंस।

⇒ गोस्वमी तुलसीदास रामानुजाचार्य के ’श्री सम्प्रदाय’ और विशिष्टाद्वैतवाद से प्रभावित थे। इनकी भक्ति भावना ’दास्य भाव’ की थी।

⇒ गोस्वामी तुलसीदास की गुरु परम्परा का क्रम इस प्रकार हैं –

राघवानन्द

रामानन्द

अनन्तानन्द

नरहर्यानंद (नरहरिदास)

तुलसीदास
⇒ तुलसीदास का विवाह दीनबंधु पाठक की पुत्री रत्नावली से हुआ।

⇒ एक बार तुलसीदास की अनुपस्थिति में जब रत्नावली अपने भाई के साथ अपने पीहर चली गई तो तुलसी भी उनके पीछे-पीछे पहुँच गए वहाँ रत्नावली ने उनको बुरी तरह फटकारा।

रत्नावली की फटकार दो दोहों में प्रसिद्ध है –

’’लाज न लागत आपको दौरे आयहु साथ।
धिक धिक ऐसे प्रेम को कहा कहौं मैं नाथ।।
अस्थि चर्म मय देह मम तामे जैसी प्रीति।
तैसी जौ श्री राम महँ होति न तौ भवभीति।।’’

विशेष – रत्नावली की इस फटकार ने तुलसी को सन्यासी बना दिया।

⇒ गोस्वामी तुलसीदास के स्नेही मित्रों में नवाब अब्दुर्रहीम खानखाना, महाराज मानसिंह, नाभादास, मधुसूदन सरस्वती और टोडरमल का नाम प्रसिद्ध है।

⇒ टोडरमल की मृत्यु पर तुलसीदास ने कई दोहे लिखे थे जो निम्न हैं –

’’चार गाँव को ठाकुरो मन को महामहीप।
तुलसी या कलिकाल में अथए टोडर दीप।।
रामधाम टोडर गए, तुलसी भए असोच।
जियबी गीत पुनीत बिनु, यहै जानि संकोच।।’’

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⇒ रहीमदास ने तुलसी के सन्दर्भ में निम्न दोहा लिखा है –

सुरतिय, नरतिय, नागतिय, सब चाहति अस होय। – तुलसीदास

गोद लिए हुलसी फिरैं, तुलसी सो सुत होय।। – रहीमदास

⇒ गोस्वामी तुलसीकृत 12 ग्रन्थों को ही प्रामाणिक माना जाता है। इसमें 5 बङे और 7 छोटे हैं।

⇒ तुलसी की पाँच लघु कृतियों – ’वैराग्य संदीपनी’, ’रामलला नहछू’, ’जानकी मंगल’, ’पार्वती मंगल’ और ’बरवै रामायण’ को ’पंचरत्न’ कहा जाता है।

⇒ कृष्णदत्त मिश्र ने अपनी पुस्तक ’गौतम चन्द्रिका’ में तुलसीदास की रचनाओं के ’अष्टांगयोग’ का उल्लेख किया है।

ये आठ अंग निम्न हैं –

(1) रामगीतावली,
(2) पदावली,
(3) कृष्ण गीतावली,
(4) बरवै,
(5) दोहावली,
(6) सुगुनमाला,
(7) कवितावली
(8) सोहिलोमंगल।

⇒ तुलसीदास की प्रथम रचना ’वैराग्य संदीपनी’ तथा अन्तिम रचना ’कवितावली’ को माना जाता है। ’कवितावली’ के परिशिष्ट में ’हनुग्गनबाहुक’ भी संलग्न है। किन्तु अधिकांश विद्वान ’रामलला नहछू’ को प्रथम कृति मानते हैं।

⇒ गोस्वामी तुलसीदास की रचनाओं का संक्षिप्त परिचय निम्न हैं –

ट्रिकः जिन रचनाओं में राम व मंगल शब्द आते है वे अवधी में है शेष ब्रज भाषा में है।

अवधी भाषा में रचित –
1. 1574 ई.  रामचरित मानस  (सात काण्ड)
2. 1586 ई.  पार्वती मंगल  164 हरिगीतिका छन्द
3. 1586 ई.  जानकी मंगल  216 छन्द
4. 1586 ई.  रामलला नहछु  20 सोहर छन्द
5. 1612 ई.  बरवै रामायण  69 बरवै छन्द
6. 1612 ई.  रामाज्ञा प्रश्नावली  49-49 दोहों के सात सर्ग
ब्रज भाषा में रचित –
1. 1578 ई  गीतावली  330 छन्द
2. 1583 ई.  दोहावली  573 दोहे
3. 1583 ई.  विनय पत्रिका  276 पद
4. 1589 ई.  कृष्ण गीतावली  61 पद
5. 1612 ई.  कवितावली  335 छन्द
6. 1612 ई.  वैराग्य संदीपनी  62 छन्द

⇒ ’रामचरितमानस’ की रचना संवत् 1631 में चैत्र शुक्ल रामनवमी (मंगलवार) को हुआ। इसकी रचना में कुल 2 वर्ष 7 महीने 26 दिन लगे।

⇒ ’रामाज्ञा प्रश्न’ एक ज्योतिष ग्रन्थ है।

⇒ ’कृष्ण गीतावली’ में गोस्वामीजी ने कृष्ण से सम्बन्धी पदों की रचना की तथा ’पार्वती मंगल’ में पार्वती और शिव के विवाह का वर्णन किया।

⇒ ’रामचरितमानस’ और ’कवितावली’ में गोस्वामी जी ने ’कलिकाल’ का वर्णन किया है।

⇒ ’कवितावली’ में बनारस (काशी) के तत्कालीन समय में फैले ’महामारी’ का वर्णन ’उत्तराकाण्ड’ में किया गया है।

⇒ तुलसीदास ने अपने बाहु रोग से मुक्ति के लिए ’हनुमानबाहुक’ की रचना की।

⇒ ‘‘बरवै रामायण’’ की रचना रहीम के आग्रह पर की थी।

⇒ आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने ’रामचरितमानस’ को ’लोकमंगल की साधनावस्था’ का काव्य माना है।

⇒ ’मानस’ में सात काण्ड या सोपान हैं जो क्रमशः इस प्रकार हैं –

(1) बालकाण्ड,

(2) अयोध्याकाण्ड,

(3) अरण्यकाण्ड,

(4) किष्किन्धाकाण्ड,

(5) सुन्दरकाण्ड,

(6) लंकाकाण्ड,

(7) उत्तरकाण्ड।

⇒ ’अयोध्याकाण्ड’ को ’रामचरितमानस’ का हृदयस्थल कहा जाता है। इस काण्ड की ’चित्रकूट सभा’ को आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने ’एक आध्यात्मिक घटना’ की संज्ञा प्रदान की।

⇔ ’चित्रकूट सभा’ में ’वेदनीति’, ’लोकनीति’ एवं ’राजनीति’ तीनों का समन्वय दिखाई देता है।

⇒ ’रामचरितमानस’ की रचना गोस्वामीजी ने ’स्वान्तः सुखाय’ के साथ-साथ ’लोकहित’ एवं ’लोकमंगल’ के लिए किया है।

⇒ ’रामचरितमानस’ के मार्मिक स्थल निम्नलिखित हैं –

(1) राम का अयोध्या त्याग और पथिक के रूप में वन गमन,

(2) चित्रकूट में राम और भरत का मिलन,

(3) शबरी का आतिथ्य,

(4) लक्ष्मण को शक्ति लगने पर राम का विलाप,

(5) भरत की प्रतीक्षा आदि।

⇒ तुलसी ने ’रामचरितमानस’ की कल्पना ’मानसरोवर’ के रूपक के रूप में की है। जिसमें 7 काण्ड के रूप में सात सोपान तथा चार वक्ता के रूप में चार घाट हैं।

⇔ तुलसीदास को ’लाला भगवानदीन और बच्चन सिंह’ ने ’रूपकों का बादशाह’ कहा है।

⇒ तुलसीदास को ’आचार्य रामचन्द्र शुक्ल’ ने ’अनुप्रास का बादशाह’ कहा है।

⇔ तुलसीदास को ’डाॅ. उदयभानु सिंह’ ने ’उत्प्रेक्षाओं का बादशाह’ कहा है।

⇒ आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी ने लिखा है, ’’तुलसी का सम्पूर्ण काव्य समन्वय की विराट चेष्टा है।’’

⇒ ’रामचरितमानस’ पर सर्वाधिक प्रभाव ’अध्यात्म रामायण’ का पङा है।

⇒ तुलसीदास ने सर्वप्रथम ’मानस’ को रसखान को सुनाया था।

⇒ ’रामचरितमानस’ की प्रथम टीका अयोध्या के बाबा रामचरणदास ने लिखी।

⇔ ’रामचरितमानस’ के सन्दर्भ में रहीमदास ने लिखा है –

रामचरित मानस विमल, सन्तन जीवन प्रान।
हिन्दुवान को वेद सम, यवनहि प्रकट कुरान।।

⇒ भिखारीदास ने तुलसी के सम्बन्ध में लिखा हैं –

तुलसी गंग दुवौ भए सुकविन के सरदार।
इनके काव्यन में मिली भाषा विविध प्रकार।।

⇒ अयोध्या सिंह उपाध्याय ’हरिऔध’ ने इनके सम्बन्ध में लिखा हैं –

’कविता करके तुलसी न लसे, कविता पा लसी तुलसी की कला’

⇔ आचार्य शुक्ल ने तुलसी के साहित्य को ’विरुद्धों का सांमजस्य’ कहा है।

⇒ आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के अनुसार –
’’तुलसीदास जी रामानंद सम्प्रदाय की वैरागी परम्परा में नही जान पङते। रामानंद की परम्परा में सम्मिलित करने के लिए उन्हें नरहरिदास का शिष्य बताकर जो परम्परा मिलाई गई है वह कल्पित प्रतीत होती है।’’

⇔ बाबू गुलाबराय ने तुलसीदास को ’सुमेरू कवि गोस्वामी तुलसीदास’ कहा है।
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🙏 कवियों के उपनाम🙏

हिंदी का गोल्ड स्मिथ किसे कहा जाता है ।
उतर:—-श्री सियारामशरण गुप्त

2 💐हिन्दी का टेनिसन किसे कहा जाता है
उत्तर:—-बाबू जगन्नाथ दास

3💐बिहार का महावीर प्रसाद द्विवेदी किसे कहा जाता है
उतर:—-आचार्य शिवपूजन सहाय

4 💐हिन्दी का लघु प्रसाद किसे कहा जाता है
उतर:—-जगदीश चन्द्र माथुर

5💐आधुनिक रसखान किसे कहा जाता है
उतर:—श्री अब्दुल रसीद

6💐आधुनिक रहीम किसे कहा जाता है
उतर:—-मिर्जा नासिर हसन

7💐शब्द सम्राट कोश किसे कहा जाता है
उतर:—-बाबू श्याम सुंदर दास

8💐साहित्य का महारथी किसे कहा जाता है
उतर:—-आचार्य रामचंद्र शुक्ल जी

9💐हिन्दी का गालिब किसे कहा जाता है
उतर:—–बिहारी

10💐हिन्दी का मिल्टन किसे कहा जाता है
उतर:—केशवदास

11💐युग का वैतालिक किसे कहा जाता है
उतर:—–भारतेंदु जी

12 💐पूरे ऋषि किस अष्टछापी कवि को कहा जाता है
उतर:—-कुम्भनदास

13 💐ऊंची योग्यता का कवि किसे कहा जाता है
उतर:—-गद्दाधर भट्ट

14💐हिन्दी का लैम्ब किसे कहा जाता है
उतर:—-प्रताप नारायण मिश्र

15💐हिन्दी का मम्मट किसे कहा जाता है
उतर:—-पण्डित रामदिन मिस्र

16💐अवतारी पुरुष किस कवि को कहा जाता है
उतर:—-महावीर प्रसाद द्विवेदी

17💐हिन्दी का इलिएट किसे कहा जाता है
उतर:—–अज्ञेय जी

18💐छोटे निराला किस कवि को कहा जाता है
उतर:—- जानकी बल्लभ शास्त्री

19💐हिन्दी का मल्लिनाथ किसे कहा जाता है
उतर:—-राजा लक्ष्मण सिंह

20💐आधुनिक काल का पद्याकर किसे कहा जाता है
उतर:—-बाबू जगन्नाथ दास ।
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हिंदी दिवस की बहुत बधाई और शुभकामनाएं हार्दिक शुभकामनाएं ।।
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हिंदी दिवस ।।
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क्‍यों मनाया जाता है हिंदी दिवस? जानिए इसका इतिहास और 8 दिलचस्प बातें।
हिंदी दिवस साल 1953 से पूरे भारत में 14 सितंबर को हर साल मनाया जाता आ रहा है. हिंदी दुनिया में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली तीसरी भाषा है.

हिंदी दिवस (Hindi Diwas) हर साल 14 सितंबर (14 September) को मनाया जाता है. हिंदी विश्व की प्राचीन, समृद्ध और सरल भाषा है. हिंदी (Hindi) भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के कई देशों में बोली जाती है. हिंदी हमारी 'राजभाषा' (Hindi Rajbhasha) है. दुनिया की भाषाओं का इतिहास रखने वाली संस्था एथ्नोलॉग (Ethnologue) के मुताबिक हिंदी दुनिया में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली तीसरी भाषा है. हिंदी हमें दुनिया भर में सम्मान दिलाती है. 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने एक मत से यह निर्णय लिया कि हिंदी ही भारत की राजभाषा होगी. इस निर्णय के बाद हिंदी को हर क्षेत्र में प्रसारित करने के लिए राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के अनुरोध पर 1953 से पूरे भारत में 14 सितंबर को हर साल हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाने लगा.

क्‍या है हिन्‍दी दिवस का इतिहास?
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वैसे तो भारत विभिन्‍न्‍ताओं वाला देश है. यहां हर राज्‍य की अपनी अलग सांस्‍कृतिक, राजनीतिक और ऐतिहासिक पहचान है. यही नहीं सभी जगह की बोली भी अलग है. इसके बावजूद हिन्‍दी भारत में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है. यही वजह है कि राष्‍ट्रपिता महात्‍मा गांधी ने हिन्‍दी को जनमानस की भाषा कहा था. उन्‍होंने 1918 में आयोजित हिन्‍दी साहित्‍य सम्‍मेलन में हिन्‍दी को राष्‍ट्र भाषा बनाने के लिए कहा था.

आजादी मिलने के बाद लंबे विचार-विमर्श के बाद आखिरकार 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा में हिन्‍दी को राज भाषा बनाने का फैसला लिया गया. भारतीय संविधान के भाग 17 के अध्‍याय की धारा 343 (1) में हिन्‍दी को राजभाषा बनाए जाने के संदर्भ में कुछ इस तरह लिखा गया है, 'संघ की राजभाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी होगी. संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप अंतर्राष्ट्रीय रूप होगा.'
हालांकि हिन्‍दी को राजभाषा बनाए जाने से काफी लोग खुश नहीं थे और इसका विरोध करने लगे. इसी विरोध के चलते बाद में अंग्रेजी को भी राजभाषा का दर्जा दे दिया गया.

हिन्‍दी दिवस क्‍यों मनाया जाता है?
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भारत सालों तक अंग्रेजों का गुलाम रहा. इसी वजह से उस गुलामी का असर लंबे समय तक देखने को मिला. यहां तक कि इसका प्रभाव भाषा में भी पड़ा. वैसे तो हिन्‍दी दुनिया की चौथी ऐसी भाषा है जिसे सबसे ज्‍यादा लोग बोलते हैं लेकिन इसके बावजूद हिन्‍दी को अपने ही देश में हीन भावना से देखा जाता है. आमतौर पर हिन्‍दी बोलने वाले को पिछड़ा और अंग्रेजी में अपनी बात कहने वाले को आधुनिक कहा जाता है.

इसे हिन्‍दी का दुर्भाग्‍य ही कहा जाएगा कि इतनी समृद्ध भाषा कोष होने के बावजूद आज हिन्‍दी लिखते और बोलते वक्‍त ज्‍यादातर अंग्रेजी भाषा के शब्‍दों का इस्‍तेमाल किया जाता है. और तो और हिन्‍दी के कई शब्‍द चलन से ही हट गए. ऐसे में हिन्‍दी दिवस को मनाना जरूरी है ताकि लोगों को यह याद रहे कि हिन्‍दी उनकी राजभाषा है और उसका सम्‍मन व प्रचार-प्रसार करना उनका कर्तव्‍य है. हिन्‍दी दिवस मनाने के पीछे मंशा यही है कि लोगों को एहसास दिलाया जा सके कि जब तक वे इसका इस्‍तेमाल नहीं करेंगे तब तक इस भाषा का विकास नहीं होगा.

हिन्‍दी दिवस कैसे मनाया जाता है?
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हिन्‍दी दिवस के मौके पर कई कार्यक्रमों का आयोजन होता है. स्‍कूलों, कॉलेजों और  शैक्षणिक संस्‍थानों में निबंध प्रतियोगिता ,  वाद-विवाद प्रतियोगता, कविता पाठ, नाटक, और प्रदर्शनियों का आयोजन किया जाता है. इसके अलावा सरकारी दफ्तरों में हिन्‍दी पखवाड़े का आयोजन होता है. यानी कि 14 सितंबर से लेकर अगले 15 दिनों तक सरकारी दफ्तों में विभिन्‍न प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं. यही नहीं साल भर हिन्‍दी के विकास के लिए अच्‍छा काम करने वाले सरकारी दफ्तरों को पुरस्‍कार से भी सम्‍मानित किया जाता है.

हिन्‍दी से जुड़ी 8 दिलचस्प बातें, जिन्हें पढ़कर आपको गर्व होगा-
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1. हिन्‍दी विश्‍व में चौथी ऐसी भाषा है जिसे सबसे ज्‍यादा लोग बोलते हैं. ताजा आंकड़ों के मुताबिक वर्तमान में भारत में 43.63 फीसदी लोग हिन्‍दी भाषा बोलते हैं. जबकि 2001 में यह आंकड़ा 41.3 फीसदी था. तब 42 करोड़ लोग हिन्दी बोलते थे. जनगणना के आंकड़ों के अनुसार 2001 से 2011 के बीच हिन्दी बोलने वाले 10 करोड़ लोग बढ़ गए. साफ है कि हिन्दी देश की सबसे तेजी से
2. इसे आप हिन्‍दी की ताकत ही कहेंगे कि अब लगभग सभी विदेशी कंपनियां हिन्‍दी को बढ़ावा दे रही हैं. यहां तक कि दुनिया के सबसे बड़े सर्च इंजन गूगल में पहले जहां अंग्रेजी कॉनटेंट को बढ़ावा दिया जाता था वही गूगल अब हिन्‍दी और अन्‍य क्षेत्रीय भाषा वाले कॉन्‍टेंट को प्रमुखता दे रहा है. हाल ही में ई-कॉमर्स साइट अमेजन इंडिया ने अपना हिन्दी ऐप्‍प लॉन्च किया है. ओएलएक्स, क्विकर जैसे प्लेटफॉर्म पहले ही हिन्दी में उपलब्ध हैं. स्नैपडील भी हिन्दी में है.
3. इंटरनेट के प्रसार से किसी को अगर सबसे ज्‍यादा फायदा हुआ है तो वह हिन्‍दी है. 2016 में डिजिटल माध्यम में हिन्दी समाचार पढ़ने वालों की संख्या 5.5 करोड़ थी, जो 2021 में बढ़कर 14.4 करोड़ होने का अनुमान है.
4. 2021 में हिन्दी में इंटरनेट उपयोग करने वाले अंग्रेजी में इंटरनेट इस्तेमाल करने वालों से अधिक हो जाएंगे. 20.1 करोड़ लोग हिन्दी का उपयोग करने लगेंगे. गूगल के अनुसार हिन्दी में कॉन्‍टेंट पढ़ने वाले हर साल 94 फीसदी बढ़ रहे हैं, जबकि अंग्रेजी में यह दर सालाना 17 फीसदी है.
5. अभी विश्‍व के सैंकड़ों व‍िश्‍वविद्यालयों में हिन्‍दी पढ़ाई जाती है और पूरी दुनिया में करोड़ों लोग हिन्‍दी बोलते हैं. यही नहीं हिन्‍दी दुनिया भर में सबसे ज्‍यादा बोली जाने वाली पांच भाषाओं में से एक है.
6. दक्षिण प्रशान्त महासागर के मेलानेशिया में फिजी नाम का एक द्वीप है. फिजी में हिन्‍दी को आधाकारिक भाषा का दर्जा दिया गया है. इसे फि‍जियन हिन्दी या फि‍जियन हिन्दुस्तानी भी कहते हैं. यह अवधी, भोजपुरी और अन्य बोलियों का मिलाजुला रूप है.

7. पाकिस्‍तान, नेपाल, बांग्‍लादेश, अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, न्‍यूजीलैंड, संयुक्‍त अरब अमीरात, युगांडा, गुयाना, सूरीनाम, त्रिनिदाद, मॉरिशस और साउथ अफ्रीका समेत कई देशों में हिन्‍दी बोली जाती है.

8. साल 2017 में ऑक्‍सफोर्ड डिक्‍शनरी में पहली बार 'अच्छा', 'बड़ा दिन', 'बच्चा' और 'सूर्य नमस्कार' जैसे हिन्‍दी शब्‍दों को शामिल किया गया.
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*_हिन्दी भाषा एवं साहित्य प्रश्नोत्तर _*
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1. किस नाटककार ने अपने नाटकों के लिए रंगमंच को अनिवार्य नहीं माना है? – जयशंकर प्रसाद
2. किस पुस्तक का 15 भारतीय भाषाओं और 40 विदेशी भाषाओं में अनुवाद किया जा चुका है? – पंचतंत्र
3. किस भाषा को द्रविड़ परिवार की सभी भाषाओं की जननी कहा जाता है? – तमिल
4. किस भाषा को भारतीय आर्य भाषाओं की जननी, भारतीय आर्य संस्कृति का आधार, देवभाषा आदि नामों से जाना जाता है? – संस्कृत
5. किस युग को ‘चाल्कोलिथिक एज’ कहा जाता है? –  ताम्रपाषाण युग को
6. किस रचना की सर्वाधिक टीकाएँ लिखी गई हैं? – बिहारी सतसई
7. 'कुटज' के रचयिता कौन हैं? – हजारी प्रसाद द्विवेदी
8. केरल राज्य की राजकीय भाषा क्या है? – मलयालम
9. कौनसी भाषा ऑस्ट्रिक समूह से सम्बन्धित है? – खासी
10. खड़ी बोली के सर्वप्रथम लोकप्रिय कवि कौन माने जाते है? – अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध'
11. खड़ीबोली का अरबी-फ़ारसीमय रूप क्या है? – उर्दू भाषा
12. 'गंगा छवि वर्णन' (कविता) के रचनाकार कौन हैं? –  भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
13. 'गागर में सागर' भरने का कार्य किस कवि ने किया है? –  बिहारी
14. गाथा (गाहा) कहने से किस लोक प्रचलित काव्यभाषा का बोध होता है? – प्राकृत
15. गुप्त वंश का संस्थापक कौन था? – श्रीगुप्त
16. 'गोदान' किसकी कृति है? – प्रेमचंद
17. गौतम बुद्ध ने अपने उपदेश सबसे अधिक किस स्थान पर दिए? – श्रावस्ती में
18. घनिष्ठ की शुद्ध उत्तरावस्था क्या है? – घनिष्ठतर
19. चंदरबरदाई किसके दरबारी कवि थे? – पृथ्वीराज चौहान के
20. चन्दन विष व्याप्त नहीं, लिपटे रहत भुजंग- इस प्रस्तुत पंक्ति के रचयिता कौन हैं? – रहीम
21. 'चरणदास चोर' किसकी नाट्य कृति है? – हबीब तनवीर
22. 'चाँद का मुँह टेढ़ा है' (काव्य) के रचयिता कौन हैं? –  गजानन माधव 'मुक्तिबोध'
23. चारु शब्द की शुद्ध भावात्मक संज्ञा क्या है? – चारुता
24. 'चिन्तामणि' के रचयिता कौन हैं? – रामचन्द्र शुक्ल
25. चीनी यात्री ह्नेनसांग सर्वप्रथम किस भारतीय राज्य पहुँचा? – कपिशा
26. चीनी-तिब्बती भाषा समूह की भाषाओं के बोलने वालों को कहा जाता है? – निषाद
27. छायावाद के प्रवर्तक का क्या नाम है? – जयशंकर प्रसाद
28. 'जनमेजय का नागयज्ञ' किसकी कृति हैं? – जयशंकर प्रसाद
29. देवनागरी लिपि को राष्ट्रलिपि के रूप में कब स्वीकार किया गया था? – 14 सितम्बर, 1949
30. जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन तैसी। इस पंक्तियों के रचयिता कौन हैं? – तुलसीदास
31. जो अपनी जान खपाते हैं, उनका हक उन लोगों से ज़्यादा है, जो केवल रुपया लगाते हैं। यह कथन गोदान के किस पात्र द्वारा कहा गया है? – महतो
32. जो जिण सासण भाषियउ सो मई कहियउ सारु। जो पालइ सइ भाउ करि सो तरि पावइ पारु॥ इस दोहे के रचनाकार का नाम क्या है? – देवसेन
33. ज्ञानपीठ पुरस्कार किस क्षेत्र में श्रेष्ठ कार्य के लिए दिया जाता है? – साहित्य
34. ज्ञानमार्गी शाखा के कवियों को किस नाम से पुकारा जाता है? – संत कवि
35. झरना (काव्य संग्रह) के रचयिता कौन हैं? – जयशंकर प्रसाद
36. डोगरी भाषा मुख्य रूप से कहाँ बोली जाती है? – जम्मू कश्मीर
37. ढाई अक्षर प्रेम के, पढ़ै सो पंडित होय। इस पंक्ति के रचयिता कौन हैं? – कबीर दास
38. तक्षशिला नगर किन नदियों के मध्य स्थित था? – सिंधु व झेल
39. तरनि-तनूजा-तट तमाल तरुवर बहु छाए। इस पंक्ति के रचयिता कौन हैं? – भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
40. तरुवर फल नहिं खात है, सरवर पियहिं न पान। इस पंक्ति के रचयिता कौन हैं? – रहीम
41. 'तितली' किसकी रचना है? – जयशंकर प्रसाद
42. तुलसीदास का वह ग्रंथ कौन-सा है, जिसमें ज्योतिष का वर्णन किया गया है? – रामाज्ञा प्रश्नावली
43. तुलसीदास ने अपनी रचनाओं में किसका वर्णन किया हैं? – राम
44. 'तोड़ती पत्थर' (कविता) के कवि कौन हैं? – सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला'
45. 'तोड़ती पत्थर' कैसी कविता है? – थार्थवादी
46. 'त्यागपत्र' (उपन्यास) किसकी रचना है? – जैनेन्द्र कुमार
47. दरवाजे से चंडालगढ़ी की तरफ नजर दौड़ाने पर एक अद्भुत दृश्य दिखाई देता था।- इस पंक्ति के रचनाकार कौन हैं? – राहुल सांकृत्यायन
48. रामचरितमानस में प्रधान रस के रूप में किस रस को मान्यता मिली है? – भक्ति रस
49. दुःख ही जीवन की कथा रही। क्या कहूँ आज जो नहीं कही।। इस पंक्तियों के रचयिता का नाम क्या है? – सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'
50. दुरित, दुःख, दैन्य न थे जब ज्ञात, अपरिचित जरा-मरण-भ्रू पात।। इस पंक्ति के रचनाकार कौन हैं? – सुमित्रानंदन पंत
51. देखन जौ पाऊँ तौ पठाऊँ जमलोक हाथ, दूजौ न लगाऊँ, वार करौ एक करको। ये पंक्तियाँ किस कवि द्वारा सृजित हैं? –  नाभादास
52. देवताओं की लिपि किसे कहा जाता है? – देवनागरी लिपि
53. देवनागरी लिपि का विकास किस लिपि से हुआ है? –  ब्राह्मी लिपि
54. जब-जब होय धर्म की हानी, बाढ़ै असुर अधम अभिमानी। इस पंक्ति के रचयिता कौन हैं? – तुलसीदास
55. देश का पहला राष्ट्रीय हिन्दी संग्रहालय कहाँ स्थापित किया जा रहा है? – आगरा
56. देश में एकमात्र किस राज्य की राजभाषा अंग्रेज़ी है? –  नागालैंड
57. 'दोहाकोश' के रचयिता कौन हैं? – सरहपा
58. द्रविड़ भाषाओं में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा क्या है? – तेलुगु
59. 'द्विवेदी युग' का नामकरण किसके नाम पर हुआ है? –  महावीर प्रसाद द्विवेदी
60. 'ध्रुव स्वामिनी' (नाटक) के रचयिता कौन हैं? – जयशंकर प्रसाद
61. नमक का दरोगा कहानी के लेखक कौन हैं? – प्रेमचंद
62. नयन जो देखा कमल-सा निरमल नीर सरीर। हंसत जो देखा हंस भा दसन ज्योति नगहीर।। इस पंक्तियों के रचयिता कौन हैं? – जायसी
63. नर की और नल नीर की गति एके करि जोय। जेतो नीचो हे चले तेतो ऊँचो होय।। इस पंक्तियों के रचयिता कौन हैं? –  बिहारीलाल
64. नवनीत शब्द का सही अर्थ क्या है? – मक्खन
65. नागालैंड की राजकीय भाषा क्या है? – अंग्रेज़ी
66. नालंदा विश्वविद्यालय किस लिए प्रसिद्ध था? – बौद्ध धर्म दर्शन
67. निराला के राम तुलसीदास के राम से भिन्न और भवभूति के राम के निकट हैं। यह कथन किस हिन्दी आलोचक का है? – डॉ. रामविलास शर्मा
68. 'निराला' को कैसा कवि माना जाता है? – क्रांतिकारी
69. निर्गुण भक्ति काव्य का प्रमुख कवि कौन है? –  कबीरदास
70. निशा -निमंत्रण के रचनाकार कौन हैं? – हरिवंश राय बच्चन
71. न्यूमिसमेटिक्स क्या है? – सिक्कों व धातुओं का अध्ययन
72. 'पंच परमेश्वर' (कहानी) के लेखक कौन हैं? – प्रेमचन्द
73. पंचवटी कौन-सा समास है? – द्विगु
74. 'पद्मावत' किसकी रचना है? – मलिक मुहम्मद जायसी
75. परहित सरिस धर्म नहि भाई, परपीड़ा सम नहिं अधमाई। इस पंक्ति के रचयिता कौन हैं? – तुलसीदास
76. पल्लव के रचयिता कौन हैं? – सुमित्रानंदन पंत
77. पवित्रता की माप है मलिनता, सुख का आलोचक है दुःख, पुण्य की कसौटी है पाप। यह कथन स्कन्दगुप्त नाटक के किस पात्र का है? – देवसेना
78. पुराणों में अशोक को क्या कहा गया है? – अशोक वर्धन
79. पुरापाषाण युग में आदि मानव के मनोंरजन का साधन क्या था? – शिकार करना
80. 'पूस की रात' (कहानी) के रचनाकार कौन हैं? – प्रेमचन्द्र
81. 'पृथ्वीराज रासो' के रचनाकार कौन हैं? – चन्दबरदाई
82. पेवामचनदव के अधूरे उपन्यास का नाम क्या है? –  मंगलसूत्र
83. 'प्रकृति के सुकुमार कवि' किसे कहा जाता है? –  सुमित्रानंदन पंत
84. 'प्रगतिवाद उपयोगितावाद का दूसरा नाम है।'- यह कथन किसका है? – नन्द दुलारे बाजपेयी
85. प्रथम सूफी प्रेमाख्यानक काव्य के रचयिता कौन हैं? –  मुल्ला दाऊद
86. प्रभातफेरी काव्य के रचनाकार कौन हैं? – नरेन्द्र शर्मा
87. प्रभुजी तुम चंदन हम पानी। जाकी अंग-अंग बास समानी।। प्रस्तुत पंक्तियों के रचयिता कौन हैं? – रैदास
88. प्राचीन का विलोम क्या है? – अर्वाचीन
89. प्राचीन काल में मानव द्वारा किस अनाज का प्रयोग हुआ? – चावल
90. प्राचीन भारत में कौन-सी लिपि दाईं ओर से बाईं ओर लिखी जाती थी? – खरोष्ठी लिपि
91. प्रादेशिक बोलियों के साथ ब्रज या मध्य देश की भाषा का आश्रय लेकर एक सामान्य साहित्यिक भाषा स्वीकृत हुई, जिसे चारणों ने नाम दिया? – पिंगल भाषा
92. 'प्रेम पचीसी' (कहानी-संग्रह) के रचनाकार कौन हैं? –  प्रेमचंद
93. प्रेम लक्षणा भक्ति को किस भक्ति शाखा ने अपनी साधना का मुख्य आधार बनाया है? – कृष्णभक्ति शाखा
94. प्रेमचन्द्र के अधूरे उपन्यास का नाम क्या है? – मंगलसूत्र
95. 'प्रेमसागर' के लेखक कौन हैं? – लल्लू लाल
96. बाँगरू बोली का किस बोली से निकट सम्बन्ध है? –  खड़ीबोली
97. बिहारी किस काल के कवि थे? – रीति काल
98. बिहारी किस राजा के दरबारी कवि थे? – जयपुर नरेश जयसिंह के
99. बुँदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी। खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।। इस पंक्ति के रचयिता कौन हैं? – सुभद्रा कुमारी चौहान
100. बूँदी नरेश महाराज भावसिंह का आश्रित कवि कौन था? – मतिराम
101. बैताल पच्चीसी के रचनाकार कौन हैं? – सूरति मिश्र
102. बैर क्रोध का अचार या मुरब्बा है। इस पंक्ति के रचयिता कौन हैं? – रामचन्द्र शुक्ल
103. भक्तमाल भक्तिकाल के कवियों की प्राथमिक जानकारी देता है, इसके रचयिता कौन थे? – नाभादास
104. भारत का शेक्सपीयर किसे कहा जाता है? –  कालिदास को
105. भारत की प्राचीन भाषा क्या है? – संस्कृत
106. भारत के किस प्रान्त में कोंकणी भाषा बोली जाती है? –  महाराष्ट्र तथा गोवा
107. भारत के प्रथम राष्ट्रकवि कौन हैं? – मैथिलीशरण गुप्त
108. भारत भारती (काव्य) के रचनाकार कौन हैं? –  मैथिलीशरण गुप्त
109. भारत में शिलालेखों का प्रचलन किसने कराया? –  अशोक ने
110. भारत में संस्कृत माँ है, हिन्दी बहूरानी और अंग्रेजी नौकरानी किस महापुरूष के अनमोल वचन है? – डॉ. कामिल बुल्के
111. भारत में सबसे अधिक बोला जाने वाला भाषायी समूह क्या है? – इण्डो-आर्यन
112. भारत में सबसे कम बोला जाने वाला भाषायी समूह क्या है? – चीनी-तिब्बती
113. भारत में सर्वाधिक लोगों द्वारा कौनसी भाषा बोली जाती है? – हिन्दी (देवनागरी लिपि)
114. भारतीय इतिहास का कौनसा स्त्रोत प्राचीन भारत के व्यापारिक मार्गों पर मौन है? – मिलिंद पान्हो
115. भारतीय भाषाओं को कितने प्रमुख वर्गों में बाँटा गया है? – 4
116. भारतीय भाषाओं में कौन-सी भाषा द्रविड़ भाषा की उत्पत्ति नहीं है? – मराठी
117. भारतीय संविधान में हिनीधि को क्या कहा गया है? –  राजभाषा
118. भारतेन्दु कृत ‘भारत दुर्दशा’ किस साहित्य रूप का हिस्सा है? – नाटक साहित्य
119. भाषा के सम्बन्ध में ‘हिन्दी’ शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम किसने किया? – अमीर ख़ुसरो
120. 'भिक्षुक' (कविता) के रचयिता कौनहैं? – निराला
121. भीमबेटका किसके लिए प्रसिद्ध था? – गुफाओं के शैलचित्र
122. भूषण का कौन सा लक्षण ग्रंथ है? – शिवराज भूषण
123. भूषण किस रस के कवि हैं? – वीर रस
124. भूषण की कविता का प्रधान स्वर क्या है? –  प्रशस्तिपरक
125. मंदिर बनाने की कला का जन्म किस काल में हुआ? –  गुप्त काल में
126. 'मजदूरी और प्रेम' (निबंध) के रचनाकार कौन हैं? –  रामचन्द्र शुक्ल
127. मध्य प्रदेश के किस जिले को देश का प्रथम हिन्दी साक्षर जिला घोषित किया गया है? – नरसिंहपुर को
128. मनुष्य के आचरण के प्रवर्तक भाव या मनोविकार ही होते हैं, बुद्धि नहीं। यह कथन किसका है? – रामचन्द्र शुक्ल का
129. मनुष्यता का विपरीतार्थक क्या है? – बर्बरता
130. मनुष्यत्व की सामान्य भावना को आगे करके निम्न श्रेणी की जनता में आत्मगौरव का भाव जगाने वाले सर्वश्रेष्ठ कवि कौन थे? – कबीर
131. मसि कागद छुयो नहीं कलम गही नहिं हाथ। इस पंक्ति के रचयिता कौन हैं? – कबीरदास
132. महादेवी वर्मा को किस रचना के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला? – यामा
133. मुझे तोड़ लेना वनमाली उस पथ में देना तुम फ़ेंक मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जावें वीर अनेक।। इस पंक्ति के रचयिता कौन हैं।? – माखन लाल चतुर्वेदी
134. मेगास्थनीज ने अपनी पुस्तक इंडिका में किसके शासनकाल का वर्णन किया है? – चंद्रगुप्त मौर्य
135. 'मैथिल कोकिल' किसे कहा जाता है? – विद्यापति
136. मैथिली किस राज्य की भाषा है? – बिहार
137. मैला आँचल उपन्यास के लेखक कौन हैं? –  फणीश्वरनाथ ‘रेणु’
138. यह युग (भारतेन्दु) बच्चे के समान हँसता-खेलता आया था, जिसमें बच्चों की सी निश्छलता, अक्खड़पन, सरलता और तन्मयता थी। यह कथन किस आलोचक का है? – आचार्य रामचन्द्र शुक्ल
139. 'यामा' के रचयिता कौन है? – महादेवी वर्मा
140. 'रंगभूमि' (उपन्यास) के रचनाकार कौन हैं? – प्रेमचंद
141. रक्त है? या है नसों में क्षद्र पानी, जाँच कर तू सीस दे देकर जवानी। इस पंक्ति के रचयिता कौन हैं? – माखनलाल चतुर्वेदी
142. रस मीमांसा रस-सिद्धांत से सम्बन्धित पुस्तक है, इस पुस्तक के लेखक कौन हैं? – आचार्य रामचन्द्र शुक्ल
143. 'रसिक प्रिया' के रचयिता कौन हैं? – केशव दास
144. 'राग दरबारी' (उपन्यास) के रचयिता कौन है? –  श्रीलाल शुक्ल
145. राजभाषा आयोग के अध्यक्ष कौन थे? – बी.जी. खेर
146. रानी केतकी की कहानी की भाषा को क्या कहा जाता है? – खड़ीबोली
147. 'रानी केतकी की कहानी' के रचयिता कौन हैं? – इंशा अल्ला खाँ
148. 'राम चरित मानस' की भाषा क्या है? – अवधी
149. 'राम चरित मानस' में कितने काण्ड हैं? – 7
150. दिवसावसान का समय मेघमय आसमान से उतर रही है वह संध्या सुन्दरी परी सी धीरे-धीरे-धीरे। इस पंक्ति के रचनाकार कौन हैं? – सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला'

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38. अक्षर वार्ता, प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा (प्रधान संपादक), डॉ मोहन बैरागी (संपादक) aksharwartajournal@gmail.com
39. कविकुंभ, रंजीता सिंह (संपादक), kavikumbh@gmail.com
40. मनमीत, अरविंद कुमार सिंह(संपादक), manmeetazm@gmail.com
41. पू्र्वोत्तर साहित्य विमर्श (त्रैमासिक), डॉ. हरेराम पाठक (संपादक), hrpathak9@gmail.com
42. लोक विमर्श, उमाशंकर सिंह परमार (संपादक), umashankarsinghparmar@gmail.com
43. लोकोदय, बृजेश नीरज (संपादक), lokodaymagazine@gmail.com
44. माटी, नरेन्द्र पुण्डरीक (संपादक), Pundriknarendr549k@gmail.com
45. मंतव्य, हरे प्रकाश उपाध्याय (संपादक), mantavyapatrika@gmail.com
46. सबके दावेदार, पंकज गौतम (संपादक), pankajgautam806@gmail.com
47. जनभाषा, श्री ब्रजेश तिवारी (संपादक), mumbaiprantiya1935@gmail.com, drpramod519@gmail.com
48. सृजनसरिता (हिंदी त्रैमासिक), विजय कुमार पुरी (संपादक), srijansarita17@gmail.com
49. नवरंग (वार्षिकी), रामजी प्रसाद ‘भैरव’ (संपादक), navrangpatrika@gmail.com
50. किस्सा कोताह (त्रैमासिक हिंदी), ए. असफल (संपादक), a.asphal@gmail.com, Kotahkissa@gmail.com
51. सृजन सरोकार (हिंदी त्रैमासिक पत्रिका), गोपाल रंजन (संपादक), srijansarokar@gmail.com, granjan234@gmail.com
52. उर्वशी, डा राजेश श्रीवास्तव (संपादक), urvashipatrika@gmail.com
53. साखी (त्रैमासिक), सदानंद शाही (संपादक), Shakhee@gmail.com
54. गतिमान, डॉ. मनोहर अभय (संपादक), manohar.abhay03@gmail.com
55. साहित्य यात्रा, डॉ कलानाथ मिश्र (संपादक), sahityayatra@gmail.com
56. भिंसर, विजय यादव (संपादक), vijayyadav81287@gmail.com
57. सद्भावना दर्पण, गिरीश पंकज (संपादक), girishpankaj1@gmail.com
58. सृजनलोक, संतोष श्रेयांस (संपादक), srijanlok@gmail.com
59. समय मीमांसा, अभिनव प्रकाश (संपादक), editor.samaymimansa@gmail.com
60. प्रवासी जगत, डॉ. गंगाधर वानोडे (संपादक), gwanode@gmail.com pravasijagat.khsagra17@gmail.com
61. शैक्षिक उन्मेष, प्रो. बीना शर्मा (संपादक), dr.beenasharma@gmail.com
62. पल प्रतिपल, देश निर्मोही (संपादक), editorpalpratipal@gmail.com
63. समय के साखी, आरती (संपादक), samaysakhi@hmail.in
64. समकालीन भारतीय साहित्य, ब्रजेन्द्र कुमार त्रिपाठी (संपादक), secretary@sahitya-akademi.gov.in
65. शोध दिशा, डॉ गिरिराजशरण अग्रवाल (संपादक), shodhdisha@gmail.com
66. अनभै सांचा, द्वारिका प्रसाद चारुमित्र (संपादक), anbhaya.sancha@yahoo.co.in
67. आह्वान, ahwan@ahwanmag.com, ahwan.editor@gmail.com
68. राष्ट्रकिंकर, विनोद बब्बर (संपादक), rashtrakinkar@gmail.com
69. साहित्य त्रिवेणी, कुँवर वीरसिंह मार्तण्ड (संपादक), sahityatriveni@gmail.com
70. व्यंजना, डॉ रामकृष्ण शर्मा (संपादक), shivkushwaha16@gmail.com
71. एक नयी सुबह (हिंदी त्रैमासिक), डॉ. दशरथ प्रजापति (संपादक), dasharathprajapati4@gmail.com
72. समकालीन स्पंदन, धर्मेन्द्र गुप्त 'साहिल' (संपादक), samkaleen.spandan@gmail.com
73. साहित्य संवाद , संपादक - डॉ. वेदप्रकाश, sahityasamvad1@gmail.com
74. भाषा विमर्श ( अपनी भाषा की पत्रिका), अमरनाथ (प्रधान संपादक), अरुण होता (संपादक), amarnath.cu@gmail.com
75. विश्व गाथा, पंकज त्रिवेदी (संपादक), vishwagatha@gmail.com
76. भाषिकी अंतरराष्ट्रीय रिसर्च जर्नल, प्रो. रामलखन मीना (संपादक), prof.ramlakhan@gmail.com
77. समवेत, संपादक-डॉ.नवीन नंदवाना, editordeskudr@gmail.com

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सिद्ध साहित्य-

राहुल सांकृत्यायन के अनुसार सरहपा पहले बौद्धसिद्ध हैं जिन्होंने चर्यागीतों और दोहाकोश की रचना की। उन्होंने सरहपा का समय 8 वीं शताब्दी ईस्वी ठहराया है। इन्हें सहोरुपाद, सरोज वज्र, राहुल वज्र भी कहा जाता था। राहुल सांकृत्यायन ने सरह का समय (770-815 ई.) निर्धारित किया है। उन्होंने अपने संपादकत्व में लिखे ग्रंथ ‘दोहाकोश’ में यह भी बताया है कि सरहपा राजा धर्मपाल के समकालीन थे। राजा धर्मपाल का शासन काल 764 -809 ई. तक था। कुछ अन्य विद्वानों ने भी सरह का समय आठवीं शताब्दी ही माना है।

       धर्म के बाह्याडंबर का विरोध तो सभी सिद्धों ने किया पर सरहपा के स्वरों में जो आक्रामकता, उग्रता और तीखापन था वह बाद में चलकर कबीर में सुनाई पड़ता है। आक्रोश की भाषा का पहला प्रयोग सरहपा में ही दिखाई देता है। सामाजिक और धार्मिक जीवन की कृत्रिमता, घुटन और रुढिग्रस्तता के विरूद्ध कितना तीखा व्यंग्य है। जिस समय और पंडित लोग शास्त्रज्ञान के प्रकाश में परमतत्व का ज्ञानदान कर रहे थे, उस समय उसका मखौल उड़ाते हुए देहस्थ बुद्ध को पहचानने पर जोर दे रहे थे। शास्त्रज्ञ एक विशेष वर्ग तक सीमित था जिससे वास्तविक नहीं हो सकता था। देहस्थ बुद्ध की पहचान सहज मार्ग से ही हो सकती थी -

‘पंडिअ सअल सत्य वक्खाणअ ।
   देहहि बुद्ध वसन्त ण जाणअ ।।1

इसकी प्रतिध्वनि कबीर में सुनाई पड़ती है – पोथि पढि - पढि  जग मुआ पंडित भया न कोय । शास्त्रवाद से हटकर लोकवाद की ओर जाने की प्रक्रिया अपभ्रंश काल से ही शुरू हो गई थी ।

        हिंदी साहित्य के इतिहास में भक्तिकाल का आरंभिक चरण सिद्ध–नाथों का ही है। इतिहास में चौरासी सिद्ध और नौ नाथों की चर्चा आती है, जिनमें अधिकांश निम्न जाति के थे। ये वज्रयानी सिद्ध अपने वामाचारों के लिए बदनाम हैं किन्तु यदि उनके आचार इतने ही अगर्हित थे, तो वे विश्वप्रसिद्व नालंदा और विक्रमशिला के शिष्य और आचार्य कैसे हो गये? सच तो यह है कि सिद्ध–नाथों की इस परम्परा ने दलित और स्त्रियों के लिए जितना कुछ किया, उतना किसी ने नहीं। धार्मिक कर्मकांड, अंधविश्वास और रुढियों का विरोध करके इन सिद्ध–संतों ने मानवीय समानता की जो उच्च भूमि तैयार की, उसी पर बाद में कबीर आदि संतों के समानतावादी दर्शन खड़े हुए। इसी परम्परा ने स्त्रियों ओए दलितों की मुक्ति के दरवाजे खोले। तमाम विद्वानों ने सिद्धों का सम्बन्ध शूद्र आदि दलित जातियों से बताया है, किन्तु सिद्ध चाहे किसी भी जाति के रहे हों, उनके कुक्कुरिप्पा, चमरिप्पा, कन्हाप्पा, लुइप्पा आदि तथाकथित सभ्य समाज को चिढाने के लिए काफी हैं।2

         साहित्य के क्षेत्र में सिद्धों ने चर्यापद और दोहे जैसे छन्द दिये, जिनमें वैदिक आचारों के खंडन – मंडन और ब्राह्मणवादी विचारधारा का विरोध मिलता है। दोहकोशों के माध्यम से समाज में प्रचलित रुढियों, बाह्य विधानों और ब्राह्मणवादी आडम्बरों का खंडन किया है तथा चर्यापदों के माध्यम से जनमानस को प्रबोधित करते हुए अपने उपदेश दिए हैं। यहाँ सरहपा के कुछ पदों के उदाहरण दिए गये हैं ; पानी और कुश लेकर संकल्प करने–कराने वाले, रात–दिन अग्निहोत्र में निमग्न रहने वाले, घड़ी–घंटा बजाकर आरती उतारने वाले, मुंड–मुंडाकर संन्यासी बनने वाले, नग्न रहने वाले, केशों को लुंचित करने वाले, झूठे साधकों की लानत–मलामत करने वाले में वे समूचे बौद्ध साधकों के अद्वितीय थे। इस संदर्भ में लिखा है –

‘जइ रागग्गा बिअ होइ मुत्ति ता सगुणह णिअम्बइ ।
लोमुपाटणें अत्थि सिद्वि ता जुबइ णिअम्बइ  ।।
पिच्छी गहणे दिट्ठ मोक्ख तो मोरह चमरह ।
उच्छे भोअणे होइ जाण ता करिह तुरंगह ।।

          एक दूसरे स्थान पर ब्राह्मणों की भत्सर्ना करते हुए वे लिखते हैं – ‘यह कथन कि ब्राह्मण ब्रह्मा के मुख से उत्पन्न हुए थे, कुछ चतुर और धूर्त लोगों द्वारा गढ़ी गयी कपोल कल्पना है। जिस समय सिद्धों की वाणियाँ उत्तर–पूर्वी भारत को खंडन–मंडन द्वारा ब्राह्मणवादी आचारों का निषेध कर रही थीं, लगभग उसी समय उत्तर–पश्चिम भारत में नाथों का उदय हो रहा था। नाथपंथ के प्रवर्तक बाबा गोरखनाथ को अधिकांश विद्वान ब्राह्मण मानते हैं, किन्तु ब्राह्मण होने पर भी ब्राह्मणवादी पाखंडो का विरोध करके उन्होंने भक्ति का एक नया मार्ग सुझाया, जो सबके लिए ग्राह्य था। इसलिए डॉ. हजारी प्रसाद द्विवेदी कहते हैं – भक्ति आन्दोलन के पूर्व सबसे शक्तिशाली धार्मिक आन्दोलन गोरखनाथ का भक्तिमार्ग ही था। गोरखनाथ अपने युग के सबसे बड़े नेता थे।

इस प्रकार जाति–प्रथा का विरोध, अन्धविश्वाश और कर्मकांडों का खंडन, मानवीय समानता, परम सत्ता में विश्वास आदि नाथपंथियों की देन है। इसके अतिरिक्त इस काल में प्रचुर संख्या में जैन और बौद्ध साहित्य मिलते हैं, जिनकी शिक्षाएं दलित चेतना के करीब है। सरहपाद आज भी उतने ही सार्थक हैं, जितने कि वे अपने युग में थे। यह बात इसी आधार पर कही जा सकती है कि उस युग में और आज के युग में बहुत सी बातें समान है। बहुत से सामाजिक प्रश्न जो उस युग में चर्चित थे, वे आज भी चर्चित हैं। वर्ण–व्यवस्था, अन्ध-विश्वास, धार्मिक पाखण्ड आदि पर उन्होंने पूरी चोट की है।

        वर्णव्यवस्था के बारे में सरहपाद बहुत स्पष्ट थे । वे स्वयं ब्राह्मणकुल में उत्पन्न थे, फिर भी जातिगत उच्चता के हामीं नहीं थे। यही कारण है कि अपनी जाति पर उन्होंने वैसा ही प्रहार किया, जैसा कि कोई ब्राह्मणेतर कर सकता है। इस अर्थ में सरहपाद अपने युग के तमाम विद्वानों से आगे थे। यद्धपि सरहपाद पहले व्यक्ति नहीं थे, जिन्होंने ऐसा कदम उठाया हो। बौद्ध व जैन साहित्य के अवलोकन से स्पष्ट होता है कि बुद्ध व महावीर के युग में और बाद के युगों में भी ऐसे अनेक विद्वान व साधक थे।

        अंधविश्वास पर सरहपाद ने वैसा ही प्रहार किया है जैसा कि स्वयं भगवान बुद्ध ने किया था। धार्मिक पाखण्ड के सरहपाद वैसे ही विरोधी थे जैसा कि अन्य तर्क–विपरीत बातों के। उनकी बातों से ऐसा प्रतीत होता है कि उनके युग में यह दोष और भी नुमायाँ था। यही कारण है कि सरहपाद ने उस पर पूरी शक्ति से प्रहार किया है। इस प्रकार सरहपाद के समूचे साहित्य के अवलोकन से स्पष्ठ होता है कि वे बहुत बड़े विद्वान भी थे और साधक भी। अपने युग की मान्यताओं को बदलने के लिए उन्होंने लेखनी का प्रयोग किया। इस अर्थ में सरहपाद पूरे क्रांतिकारी थे।

       सरहपा ने वैदिक या ब्राह्मणवादी विचारधारा के विरुद्ध नागार्जुन के शून्यवाद घोर- असंग और बसुबंधू के आलय–विज्ञान को मान्यता दी थी और उसके आधार पर सरहपा ने ब्रह्म, ईश्वर, आत्मा और जगत की सत्यता का खंडन किया था। यह दार्शनिक संघर्ष यह सिद्ध करता है कि आस्तिक विचारधारा के विरुद्ध सिद्धों ने नास्तिक बौद्ध दार्शनिकों नागार्जुन-असंग, दिड्.नाग और धर्मकीर्ति आदि का समर्थन किया था अर्थात् बौद्ध सिद्ध साहित्य में वैदिक ब्राह्मणवादी विचारधारा के समानांतर स्वतंत्र विचार प्रवाह की स्थापना हुई थी जो सामाजिक दृष्टि से भेदभाव और विषमता के विपरीत सहज मानवीय व्यवस्था की पक्षधर थी।

          यदि तात्कालिक सामाजिक व्यवस्था की दृष्टि से देखा जाए तो सिद्ध साहित्य और साधना प्रचलित वैदिक या ब्राह्मणवादी विचारधारा के विरोध में जाती हैं। सिद्ध साधक वर्ण–जाति–कुलगत भेद और तज्जन्य अलगाव के विरुद्ध समता, एकता, करुणा और सामंजस्य के पक्षधर थे। दार्शनिक दृष्टि से भी उन्होंने वैदिक परम्परा से विद्रोह किया था और ब्रह्म, आत्मा और जगत के विषय में नास्तिक दर्शन या स्वतंत्र विचार-प्रवाह प्रस्तुत किया था।
         यह स्थिति सिद्ध परम्परा के योग और साधना को विशेष स्थान देती है। अतएव जो वामपंथी समाज-सुधारक हैं वे सिद्धों के साधना काल को उसके रहस्यवाद के कारण नहीं मानते तथापि उनके माध्यम से जो भारतीय समाज व्यवस्था के वैषम्य का विरोध हुआ है और उसमें दमित नारी, शुद्र या दलित समुदायों का जो पक्ष समर्थन है, उसे न्यायपूर्ण माना गया है या माना जाना चाहिए।

          सरह स्वयं सरल जीवन बिताते थे क्योंकि उन्हें आडम्बर पसंद न था। यह बात सत्य थी कि वे इहलोकवादी, भौतिकवादी थे परन्तु यह बात भी सत्य है कि सामाजिक से सरहपा अति दुखी थे, इसलिए तो सरहपा ने अपने से बाहर मोक्ष को ढूँढने वाले तथा ज्ञान-विडंबित वेश वाले णपकी मोक्ष की खूब खिल्ली उड़ाई है। डॉ. नामवर सिंह इस सम्बन्ध में कहते हैं – सरह की इस इच्छा को अभिधा में नहीं लेना चाहिए, इसे तो सामाजिक आडम्बर की तीव्र प्रतिक्रिया समझना चाहिए। साथ ही इससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि सरह के दिल में तत्कालीन सामाजिक व्यवस्था के प्रति गहरा असंतोष था।

          वस्तुतः सरह उस युग के निराला थे, जिन्होंने खुलकर सिर्फ विचारों की दुनियाँ में ही परिवर्तन नहीं किया, बल्कि सामाजिक पाखंड व रुढ़िवादिता के विरुद्ध भी जबरदस्त संघर्ष किया, इसलिए तो दोहाकोश गीति के कुछ दोहों में अपने समय के धार्मिक सम्प्रदायों और उनके विचारों का खंडन करते हुए उन्होंने कहा है – ये शिव के भक्त रंडी–मुंडी के वेश धारण कर भीख माँगने के उद्देश्य से इधर-उधर दिखाई पड़ते हैं। इस तरह वे समाज को, दुनिया के मानवों को उत्कृष्ठ रूप में देखना चाहते थे। यही कारण था कि वेद-शास्त्र की, वे निंदा करते हैं। उन्होंने निंदा करने का कारण नहीं बताया है, परन्तु यह संभव है कि वे तपोमय जीवन का आदेश देने वाले वेद तथा शास्त्र के दर्शन को सहज जीवनयापन में बाधा समझते हो ।


संदर्भ ग्रंथ सूची
हिंदी साहित्य का दूसरा इतिहास – बच्चन सिंह ,पृ. सं. –30–31
दलित साहित्य का समाजशास्त्र – हरिनारायण ठाकुर , पृ.सं.-206
वही, पृ.सं. - 40
युगप्रवर्तक सरह और दोहाकोश – डॉ. रमाइन्द्र कुमार पृ.सं.-1
वही, पृ.सं - 45
सिद्ध सरहपा – डॉ. विश्वम्भरनाथ उपाध्याय
युगप्रवर्तक सरह और दोहाकोश – डॉ. रमाइन्द्र कुमार पृ.सं.- 36



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✍सूफी धारा को किस आलोचक ने प्रेमाश्रयी धारा कहा - आचार्य शुक्ल जी

✍"मानस भवन में आर्यजन जिनकी उतारे आरती...." पंक्ति किस काव्यग्रंथ से है - भारत भारती

✍"सब आंखों के आंसू उजले/सबके सपनों में सत्य पला"...पंक्ति किसकी है - महादेवी वर्मा

✍किस सन्त कवि का जन्म अकबर के समय में और मृत्यु औरंगजेब के काल में हुई - मलूकदास

✍सन्त कवियों के दार्शनिक सिद्धातों का मूल आधार है - अद्वैतवाद

✍रचना कुमारपाल प्रतिबोध - सोमप्रभ सूरि, कुमारपाल चरित - हेमचन्द्र की है।

✍महिमभट्ट द्वारा प्रतिपादित सिद्धांत है - अनुमानवाद

✍"साहित्य मनुष्य के अंदर का उछालित आनन्द है" - नन्द दुलारे वाजपेयी

✍कवि धनपाल को किसने सरस्वती की उपाधि दी - राजा मुंज ने

✍"नैननि में जो सदा रहते तिनकी अब कान कहानी सुन्यो करै" - आलम की पंक्ति है।

✍कृष्ण की रस रूप और राधा को रति रूप किस सम्प्रदाय में माना गया है - वैष्णव सहजिया सम्प्रदाय

✍चंपू काव्य के दो भेद हैं - विरुद और करम्बक
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UGCNET/JRF में भक्ति सम्प्रदाय पर पूछे गए प्रश्न
UGCNET/JRF में भक्ति सम्प्रदाय परपूछे गए प्रश्न
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1. उत्तर भारत में भक्ति का प्रसार करने का श्रेय किसे प्राप्त है?
(A) शंकराचार्य              (B) रामानुजाचार्य           (C) रामानन्द   (D) मध्वाचार्य
2. ‘भक्तमाल के अनुसार रामानन्द के कितने शिष्य थे?
(A) आठ           (B) नौ   (C) दस (D) बारह
3. वल्लभाचार्य किस सम्प्रदाय के संस्थापक हैं?
(A) अद्वैत                      (B) द्वैताद्वैत       (C) शुद्धाद्वैत    (D) विशिष्टाद्वैत
4.  मध्वाचार्य किस सम्प्रदाय के संस्थापक हैं?
(A) अद्वैत                      (B) द्वैत            (C) शुद्धाद्वैत     (D) विशिष्टाद्वैत
5. सखी सम्प्रदाय के संस्थापक हैं  :
(A) हित हरिवंश            (B) वल्लभाचार्य (C) स्वामी हरिदास      (D) मध्वाचार्य
6. पुष्टिमार्ग के संस्थापक हैं  :
(A) हित हरिवंश            (B) वल्लभाचार्य  (C) स्वामी हरिदास     (D) मध्वाचार्य
7. पुष्टिमार्ग का जहाज़ किसको कहा जाता है ?
(A) सूरदास     (B) वल्लभाचार्य (C) स्वामी हरिदास  (D) तुलसीदास
8. सखी सम्प्रदाय को कहा जाता है :
(A) राधावल्लभ सम्प्रदाय  (B) हरिदासी सम्प्रदाय          (C) चिंत्याचिंत्य सम्प्रदाय (D) अष्टछाप सम्प्रदाय
9. निम्नलिखित में से कौन ब्रह्म सम्प्रदाय का प्रवर्तक है?
(A) विष्णुस्वामी  (B) निम्बार्काचार्य  (C) हित हरिवंश         (D) मध्वाचार्य
10. निम्नलिखित में से कौन श्री सम्प्रदाय का प्रवर्तक है?
(A) विष्णुस्वामी  (B) निम्बार्काचार्य  (C) हित हरिवंश         (D) रामानुजाचार्य
11. निम्नलिखित में से कौन माध्वसम्प्रदाय का प्रवर्तक है?
(A) विष्णुस्वामी  (B) निम्बार्काचार्य  (C) हित हरिवंश         (D) मध्वाचार्य
12. विशिष्टाद्वैत की स्थापना किसने की ?
(A) विष्णुस्वामी  (B) निम्बार्काचार्य  (C) रामानुजाचार्य     (D) मध्वाचार्य
13. विशिष्टाद्वैत में किस वाद का खंडन किया गया है ?
(A) राधावल्लभ सम्प्रदाय            (B) हरिदासी सम्प्रदाय   (C) चिंत्याचिंत्य सम्प्रदाय (D) अद्वैतवाद
14. द्वैताद्वैतवाद  की स्थापना किसने की ?
(A) विष्णुस्वामी  (B) निम्बार्काचार्य        (C) रामानुजाचार्य           (D) मध्वाचार्य
15. निम्नलिखित में से कौन रुद्र सम्प्रदाय का प्रवर्तक है?
(A) विष्णुस्वामी           (B) निम्बार्काचार्य           (C) हित हरिवंश            (D) मध्वाचार्य
16. निम्नलिखित में से कौन रामावत सम्प्रदाय का प्रवर्तक है?
(A) वल्लभाचार्य (B) रामानन्द   (C) स्वामी         (D) छीतस्वामी
17. निम्नलिखित में से कौन राधावल्लभ सम्प्रदाय का प्रवर्तक है?
(A) वल्लभाचार्य (B) हित हरिवंश          (C) स्वामी         (D) छीतस्वामी
18. निम्नलिखित में से कौन साध सम्प्रदाय का प्रवर्तक है?
(A) वल्लभाचार्य (B) वीरभान    (C) स्वामी         (D) छीतस्वामी
19. लालपंथ का प्रवर्तक कौन है?
(A) संत लालदास        (B) कबीरदास   (C) संत पीपा     (D) छीतस्वामी
20. दादूपंथ का प्रवर्तक कौन है?
(A) संत लालदास           (B) कबीरदास   (C) संत दादूदयाल       (D) स्वामी हरिदास
21. विश्नोई सम्प्रदाय का प्रवर्तक कौन है?
(A) संत  कवि जम्भनाथ          (B) कबीरदास   (C) संत दादूदयाल         (D) स्वामी हरिदास
22. तत्सुखी शाखा का प्रवर्तक कौन है?
(A) राधाचरणदास         (B) जीवारामजी          (C) भगवानदास            (D) अग्रदास
23. सखी सम्प्रदाय के स्वसुखी शाखा का प्रवर्तक कौन है?
(A) राधाचरणदास       (B) हरिदास      (C) भगवानदास            (D) अग्रदास
24. निरंजनी सम्प्रदाय का प्रवर्तक कौन है?
(A) निपट निरंजन          (B) हरिदास निरंजनी  (C) भगवानदास निरंजनी           (D) स्वामी हरिदास
25. राजस्थान के सलेमाबाद में किस सम्प्रदाय गोविन्द की गद्दी है?
(A) हरिदास सम्प्रदाय    (B) राधावल्लभ सम्प्रदाय  (C) गौड़ीय सम्प्रदाय    (D) निम्बार्क सम्प्रदाय
26. बावरी पंथ का आदिप्रवर्तक कौन है?
(A) संत लालदास           (B) संत रामानन्द        (C) संत दादूदयाल         (D) स्वामी हरिदास
27. कौन-सा पंथ बावरी साहिबा के नाम पर है?
(A) बावरी पंथ (B) कबीरपंथ    (C) विश्नोई सम्प्रदाय       (D) दादूपंथ
28. मध्वाचार्य किस सम्प्रदाय के संस्थापक हैं?
(A) द्वैत                        (B) अद्वैत                      (C) शुद्धाद्वैत     (D) विशिष्टाद्वैत
29. इनमें से कौन वैष्णव भक्ति का आचार्य नहीं है?
(A) वल्लभाचार्य (B) मध्वाचार्य     (C) शंकराचार्य            (D) रामानुजाचार्य
30. गौड़ीय संप्रदाय के संस्थापक हैं :
(A) हरिदास निरंजनी     (B) लालदास     (C) हितहरिवंश (D) चैतन्य महाप्रभु
31.¯ शुद्धाद्वैतवाद का प्रधान मूल ग्रंथ  है
(A) अणुभाष्य (B) सुबोधिनी टाका        (C) सूरसागर                 (D) रामचरितमानस
32. महाप्रभु वल्लभाचार्य के शिष्यों का वृत्तान्त इस ग्रंथ में है :
(A) दो सौ बावन वैष्णवन की वार्ता  (B) भक्तमाल        (C) चौरासी वैष्णवन की वार्ता  (D) वचनामृत
33. वल्लभाचार्य का वेदान्त सूत्र पर लिखा प्रसिद्ध ग्रंथ है :
(A) पुष्टिमार्ग रहस्य        (B) आनन्द भाष्य           (C) अणु भाष्य (D) सृष्टि रहस्य
34. पुष्टिमार्ग का आधार ग्रंथ कौन-सा है?
(A) भगवत् गीता            (B) महाभारत    (C) श्रीमदभागत्          (D) रामायण
35. सूरदास ने किस आचार्य से दीक्षा ली थी :
(A) वल्लभाचार्य  (B) स्वामी रामानन्द    (C) मध्वाचार्य6(D) स्वामी विट्ठलनाथ
36. निम्नलिखित सम्प्रदायों को उनके प्रवर्तकों के साथ सुमेलित कीजिए :
 (A) श्री सम्प्रदाय  (i) रामानुजाचार्य
(B) रुद्र सम्प्रदाय  (ii) मध्वाचार्य
(C) हंस या सनकादि सम्प्रदाय    (iii) विश्णुस्वामी
(D) राधावल्लभी सम्प्रदाय          (iv) निम्बार्काचार्य          (v) श्री हितजी
कूट :
            a          b          c          d
(A)       (ii)        (iv)       (i)         (iii)
(B)       (i)        (iii)     (iv)      (v)
(C)       (iii)       (iv)       (i)         (ii)
(D)       (iv)       (i)         (ii)        (iii)
37. निम्नलिखित सम्प्रदायों को उनके प्रवर्तकों के साथ सुमेलित कीजिए :
 (A) विश्नोई सम्प्रदाय  (i) अलाउद्दीन हुसैन शाह
(B) सत्य पीर सम्प्रदाय  (ii) लालदास
(C) लालपंथ       (iii) जम्भनाथ
(D) राधावल्लभी सम्प्रदाय  (iv) निम्बार्काचार्य  (v) श्री हितजी
कूट :
            a          b          c          d
(A)       (ii)        (iv)       (i)         (iii)
(B)       (iii)     (i)        (ii)       (v)
(C)       (iii)       (iv)       (i)         (ii)
(D)       (iv)       (i)         (ii)        (iii)
38. निम्नलिखित सम्प्रदायों को उनके प्रवर्तकों के साथ सुमेलित कीजिए :
 (A) रसिक सम्प्रदाय  (i) चक्रधर
(B) महानुभाव सम्प्रदाय  (ii) पुंडलिक
(C) हंस या सनकादि सम्प्रदाय    (iii) रामानन्द
(D) वारकरी सम्प्रदाय    (iv) निम्बार्काचार्य          (v) अग्रदास
कूट :
            a          b          c          d
(A)       (ii)        (iv)       (i)         (iii)
(B)       (i)         (iii)       (iv)       (v)
(C)       (v)       (i)        (iv)      (ii)
(D)       (iv)       (i)         (ii)        (iii)
39. निम्नलिखित सम्प्रदायों को उनके प्रवर्तकों के साथ सुमेलित कीजिए :
 (A) सिख सम्प्रदाय        (i) हितuरिवंश
(B) टट्टी सम्प्रदाय           (ii) गुरु नानक
(C) योगदर्शन                (iii) हरिदास
(D) राधावल्लभी सम्प्रदाय (iv) निम्बार्काचार्य  (v) पतंजलि
कूट :
            a          b          c          d
(A)      (ii)       (iii)     (v)       (i)
(B)       (i)         (iii)       (iv)       (v)
(C)       (iii)       (iv)       (i)         (ii)
(D)       (iv)       (i)         (ii)        (iii)
40. निम्नलिखित आचार्यों को उनके सिद्धान्तों के साथ सुमेलित कीजिए :
सूची-1                          सूची-2
 (A) वल्लभाचार्य            (i) विशिष्टाद्वैतवाद
(B) निम्बार्काचार्य           (ii) अद्वैतवाद
(C) रामानुजाचार्य            (iii) द्वैतवाद
(D) मध्वाचार्य               (iv)  द्वैताद्वैतवाद            (v) शुद्धाद्वैतवाद
कूट :
            a          b          c          d
(A)      (v)       (iv)      (i)        (iii)
(B)       (i)         (ii)        (iv)       (iii)
(C)       (iii)       (iv)       (i)         (ii)
(D)       (ii)        (i)         (iv)       (v)
41. निम्नलिखित सम्प्रदायों को उनके कवियों के साथ सुमेलित कीजिए :
सूची-1                          सूची-2
(A) राधावल्लभ सम्प्रदाय            (i) शेख फरीद
(B) खालसा सम्प्रदाय                 (ii) प्राणनाथ
(C) सूफ़ी सम्प्रदाय                     (iii) गुरु गोविन्द सिंह
(D) प्रणामी सम्प्रदाय                 (iv) बिहारी (v) सुन्दरदास
कूट :
             a         b          c          d
(A)       (ii)        (i)         (iii)       (iv)
(B)       (iv)      (iii)     (i)        (ii)
(C)       (iii)       (ii)        (iv)       (i)
(D)       (v)        (iv)       (ii)        (iii)
42. निम्नलिखित सम्प्रदायों को उनके अनुयायियों के साथ सुमेलित कीजिए :
 (A) वल्लभसम्प्रदाय                  (i) हरिव्यास देव
(B) निम्बार्क सम्प्रदाय                (ii) दामोदरदास
(C) राधावल्लभ सम्प्रदाय            (iii) गदाधर भट्ट
(D) चैतन्य सम्प्रदाय                   (iv) जगन्नाथ गोस्वामी (v) गोविन्द स्वामी
कूट :
            a          b          c          d
(A)      (v)       (i)        (ii)       (iii)
(B)       (iv)       (i)         (iii)       (v)
(C)       (ii)        (i)         (v)        (iv)
(D)       (v)        (iv)       (ii)        (iii)
43. कवियों को उनके अवतारों के साथ सुमेलित कीजिए :
(A) कबीर         (i) वाल्मीकि
(B) सूरदास       (ii) मुरली
(C) तुलसीदास (iii) उद्धव
(D) हितहरिवंश (iv) ज्ञानी जी (v) हंस
कूट :
            a          b          c          d
(A)      (iv)      (iii)     (i)        (ii)
(B)       (iv)       (ii)        (iii)       (i)
(C)       (iii)       (iv)       (v)        (i)
(D)       (ii)        (iii)       (iv)       (v)
44. निम्नलिखित आचार्यों को उनके सिद्धान्तों के साथ सुमेलित कीजिए :
सूची-1                          सूची-2
 (A) शंकराचार्य             (i) उद्धति सम्प्रदाय
(B) बाबा श्रीचन्द           (ii) परब्रह्म सम्प्रदाय
(C) स्वामी सहजानन्द   (iii) उदासीन सम्प्रदाय
(D) दादू दयाल             (iv)  स्मार्त सम्प्रदाय   (v) वल्लभसम्प्रदाय
कूट :
            a          b          c          d
(A)       (v)        (iv)       (i)         (iii)
(B)       (i)         (ii)        (iv)       (iii)
(C)       (iii)       (iv)       (i)         (ii)
(D)      (iv)      (iii)     (i)        (ii)
45. निम्नलिखित संस्थाओं को उनके संस्थापकांे साथ सुमेलित कीजिए: 
 (A) ब्रह्म समाज             (i)  एनी बेसेंट
(B) प्रार्थना समाज          (ii) विवेकानन्द
(C) आर्य समाज             (iii) दयानन्द सरस्वती
(D) रामकृष्ण मिशन      (iv) राजा राममोहन राय (v) केशवचन्द्र सेन
कूट :
            a          b          c          d
(A)       (iv)       (i)         (ii)        (iii)
(B)       (iv)       (ii)        (i)         (v)
(C)       (v)        (ii)        (ii)        (iv)
(D)      (iv)      (v)       (iii)     (ii)
46. भक्तमाल में दिए गए रामानन्द के प्रथम चार शिष्यों का सही अनुक्रम है :
(A) सुखानन्द, नरहर्यानन्द, अनंतानन्द, सुरसुरानन्द
(B) अनंतानन्द, सुखानन्द, सुरसुरानन्द, नरहर्यानन्द
(C) सुरसुरानन्द, अनंतानन्द, नरहर्यानन्द, सुखानन्द
(D) सुखानन्द, सुरसुरानन्द, नरहर्यानन्द, अनंतानन्द
47. आचार्य हजारी प्रसाद के अनुसार निम्नलिखित सम्प्रदायों का सही अनुक्रम है:
(A) ब्राह्म सम्प्रदाय, सनकादि सम्प्रदाय, श्री सम्प्रदाय, रुद्र सम्प्रदाय
(B) सनकादि सम्प्रदाय, ब्राह्म सम्प्रदाय, रुद्र सम्प्रदाय, श्री सम्प्रदाय
(C) श्री सम्प्रदाय, ब्राह्म सम्प्रदाय, रुद्र सम्प्रदाय, सनकदि सम्प्रदाय
(D) रुद्र सम्प्रदाय, श्री सम्प्रदाय, ब्राह्म सम्प्रदाय, सनकादि सम्प्रदाय

1. C     2. D     3. C     4. B      5. C     6. B      7. A     8. B      9. D     10. D   11. D 
12. C   13. D   14. B   15. A   16. B   17. B   18. B   19. A   20. C   21. A   22. B
23. A   24. B   25. D   26. B   27. A   28. A   29. C   30. D   31. A   32. A   33. C
34. C   35. A   36. B   37. B   38. C   39. A   40. A   41. B   42. A   43. A   44. D
45. D   46. B   47. C
विभिन्न भक्ति सम्प्रदाय
स्मार्त सम्प्रदाय (आठवीं शती) : यह द्विज या दीक्षित उच्च वर्णीय (ब्राह्मण, क्षत्रिय या वैश्य) का धार्मिक सम्प्रदाय है। आठवीं शदी के दार्शनिक एवं अद्वैतवेदान्त के प्रतिपादक शंकराचार्य इस सम्प्रदाय के संस्थापक थे।
अद्वैतवाद : आठवीं शताब्दी में शंकराचार्य द्वारा अद्वैत सम्प्रदाय की स्थापना
वैष्णवाचार्य और उनके द्वारा स्थापित सम्प्रदाय
वैष्णव धर्म की स्थापना करने वाले चार आचार्यों ने चार सम्प्रदायों की स्थापना की। उन आचार्यों कळ नाम हैंµ रामानुजाचार्य, मध्वाचार्य, विष्णुस्वामी और निम्बार्काचार्य।
इनसे सबसे पहले शंकराचार्य ने अद्वैत सम्प्रदाय की स्थापना की थी, जो अद्वैतवाद कहलाता है।
रामानुजाचार्य (1017-1137 ई॰): रामानुजाचार्य ने श्री सम्प्रदाय की स्थापना की। इन्होंने हिन्दी को अपने प्रचार का माध्यम बनाया। उनका दर्शन विशिष्टाद्वैत है, इसलिए विशिष्टाद्वैतवाद कहलाता है।
मध्वाचार्य (13वीं शताब्दी): मध्वाचार्य ने ब्रह्म सम्प्रदाय की स्थापना की। उनका दार्शनिक मत है µ द्वैतवाद।
विष्णु स्वामी : विष्णु स्वामी ने रुद्र सम्प्रदाय का प्रर्वतन किया। उनका दार्शनिक मत शुद्धाद्वैतवाद कहलाता है।
निम्बार्काचार्य : निम्बार्कचार्या ने हंस या सनकादि सम्प्रदाय की स्थापना की। उनका दार्शनिक मत ‘द्वैताद्वैतवाद’ कहलाता है, जिसे भेदाभेदवाद भी कहा जाता है। उन्होंने कृष्ण को विष्णु का अवतार माना है। रचनाएँ : ब्रह्मसूत्रा, उपनिषद् और गीता की टीका। उनकी यह टीका ‘वेदान्त पारिजात सौरभ’ (दसश्लोकी) कळ नाम से प्रसिद्ध है।
हंस या सनकादि सम्प्रदाय के प्रमुख कवि : श्रीभट्ट (युगलशतक के रचयिता, पद : रस की रेलि बेलि अति बाढ़ी), हरिव्यासदेव (‘महावाणी’ ब्रज भाषा में, पद : और कामना मोहि न कोई), परशुरामदेव (परशुरामसागर के रचयिता) इत्यादि।
रामानन्द (1399-1137 ई॰): रामानन्दचार्य ने भक्ति को दक्षिण से उत्तर लाया और यहां स्थापित किया। इन्होंने रामावत सम्प्रदाय का प्रवर्तन किया। इनके लिखे तीन संस्कृत ग्रंथ मिलते हैंµ पहला वेदान्तसूत्रों पर आनन्दभाष्य, दूसरा श्रीरामार्चन पद्धति और तीसरा वैष्णव मताब्जभास्कर और हिन्दी में रामरक्षा स्रोत, ज्ञानलीला, योगचिन्तामणि और ज्ञान तिलक।
गुरुग्रंथ साहब में इनका यह पद संकलित है :
जहां जाइए तहं जल पषान, तू परि रहिउ है नभ समान।
वेद पुरान सब दैषे जोई, ऊहां तउ जोइऐ जल इहयां न कोई।
भक्तमाल में रामानन्द के बारह शिष्य बताए गए हैं µअनन्तानन्द, सुखानन्द, सुरसुरानन्द, नरहर्यानन्द, भावानन्द, पीपा, कबीर, सेन, धना, रैदास, पद्मावती और सुरसुरी।
वल्लभाचार्य (1478-1530 ई॰) : वल्लभाचार्य ने शुद्धाद्वैतवाद का प्रवर्तन किया। शुद्धाद्वैतवाद को अभिवृत्त परिणामवाद भी कहा जाता है। उनका दार्शनिक मत पुष्टि मार्ग कहलाता है। वेदान्तसूत्र पर लिखित ग्रंथ ‘अणुभाष्य’ और ‘सुबोधिनी टीका’। पहला शुद्धाद्वैतवाद का प्रधान मूल और दूसरा भक्ति सिद्धान्तों क आकार ग्रंथ। रचनाएँ : 1¯ पूर्व मीमांसा भाष्य, 2¯ उत्तर मीमांसा का ब्रह्मसूत्र भाष्य, जो ‘अणुभाष्य’ के नाम से प्रसिद्ध है। शुद्धाद्वैतवात का प्रतिपादक यही प्रधान दार्शनिक ग्रंथ है। 3¯ श्रीमत भागवत् की सूक्ष्म टीका तथा सुबोधिनी टीका 4¯ तत्वदीप निबंध तथा अन्य छोटे-छोटे ग्रंथ।
सखी सम्प्रदाय या हरिदासी सम्प्रदाय : इसका प्रवर्तन स्वामी हरिदास (1478-1630 ई॰) ने किया था। इस सम्प्रदाय को ‘सखी सम्प्रदाय’ और ‘टट्टी सम्प्रदाय’ भी कहा जाता है।
रचनाएँ : सिद्धान्त के पद केलिमाल।
सखी सम्प्रदाय के प्रमुख कवि : स्वामी हरिदास, जगन्नाथ गोस्वामी, बीठल विपुल, बिहारिनदास, नागरीदास, नरसिंहदेव, पीताम्बरदेव, रसिकदेव, भगवतरसिक इत्यादि।
चैतन्य महाप्रभु : चैतन्य महाप्रभु (18 फरवरी 1486-14 जून 1534 ई॰) ने गौड़ीय सम्प्रदाय का प्रवर्तन किया, जो चैतन्य सम्प्रदाय भी कहलाता है। उनका दार्शनिक मत अचिन्त्य भेदाभेद कहलाता है।
सम्प्रदाय के कवि : रामराय, सूरदास मदनमोहन,, गदाधर भट्ट, चन्द्रगोपाल, भगवानदास, माधवदास ‘माधुरी’, भगवतमुदित इत्यादि।
राधावल्लभ सम्प्रदाय (स्थापना वर्ष 1534 ई॰): प्रवर्तन हितहरिवंश (जन्म: 1502 ई॰) ने किया।
रचनाएँ: हितचौरासी (84 पद) तथा स्फुटवाणी (दोनों हिन्दी), राधासुधानिधि, यमुनाष्टक (दोनों संस्कृत)।
राधावल्लभ सम्प्रदाय के प्रमुख कवि : हितहरिवंश, श्रीदामोदरदास (सेवकवाणी के रचयिता), हरिरामव्यास (व्यासवाणी, रागमाला, नवरत्न, स्वधर्म पद्धति इत्यादि), चतुर्भुजदास (द्वादशयश), ध्रुवदास (भक्तनामावली आदि 42 ग्रंथों के रचयिता), नेही नागरीदास (हितवाणी, नित्यविहार, राधाष्टक) इत्यादि।
अन्य सम्प्रदाय : महापुरुषिया सम्प्रदाय (शांकरदेव), रामदासी सम्प्रदाय (रामदास), उद्धति सम्प्रदाय (सहजानन्द या स्वामी नारायण), रसिक सम्प्रदाय (अग्रदास), स्वसुखी सम्प्रदाय (रामचरणदास), रामावत सम्प्रदाय (रामानन्द), परब्रह्म सम्प्रदाय (दादू दयाल), तत्सुखी सम्प्रदाय (जीवाराम), राधावल्लभी सम्प्रदाय (गोस्वामी हित हरिवंश), महानुभाव सम्प्रदाय (चक्रधर), वारकरी सम्प्रदाय (पुण्डलिक)।
अष्टछाप : वल्लभाचार्य के पुत्र गोस्वामी विट्ठलनाथ (1515-1585 ई॰) ने 1565 ई॰ में अष्टछाप की स्थापना की, जिनमें चार शिष्य वल्लभाचार्य के और चार स्वयं विट्ठलनाथ के हैं। अष्टछाप के कवियों को ‘अष्टसखान’ भी कहा जाता है। वे हैं :  कुम्भनदास, सूरदास, परमानन्ददास, कृष्णदास (ये चारों दो सौ वैष्णवन की वार्ता में संकलित वल्लभाचार्य के शिष्य हैं) गोविन्द स्वामी, छीतस्वामी, चतुर्भुजदास और नन्ददास (ये चारों गोस्वामी विट्ठलनाथ के शिष्य)।
विश्नोई सम्प्रदाय : गुरु जम्भेश्वर यानी जम्भोजी (1451-1536 ई॰) ने विश्नोई सम्प्रदाय का 1485 ई॰ में प्रवर्तन किया।
वारकरी सम्प्रदाय : संत ज्ञानेश्वर (जन्म: 1275 ई॰) ने तेरहवीं शताब्दी में किया।
रसिक सम्प्रदाय : प्रवर्तक अग्रदास (1496 ई॰)

उदासीन सम्प्रदाय: गुरुनानक के बड़े पुत्र बाबा श्रीचन्द (1449-1643 ई॰)  कहलाता है।
×××××××××××××


हिंदी साहित्य के कुछ प्रमुख महत्वपूर्ण तथ्य : परीक्षोपयोगी UPTET, लिखित परीक्षा



रेती के फूल - रामधारी सिंह दिनकर
अशोक के फूल - हजारी प्रसाद द्विवेदी
कमल के फूल - भवानी प्रसाद मिश्र
शिरीष के फूल - हजारी प्रसाद द्विवेदी
कागज फूल - भारत भूषण अग्रवाल
जूही के फूल - रामकुमार वर्मा
गुलाब के फूल - उषा प्रियवंदा
नीम के फूल - गिरिराज किशोर
खादी के फूल - हरिवंशरायबच्चन
जंगल के फूल - राजेंद्र अवस्थी
दुपहरिया के फूल - दुर्गेश नंदिनी डालमिया
चिता के फूल - रामवृक्ष बेनीपुरी
सेमल के फूल - मारकंडे
सुबह के फूल - महीप सिंह
रक्त के फूल - योगेश कुमार

खादी के गीत - सोहनलाल
उसने कहा था - चंद्रधर शर्मा गुलेरी
उसने नहीं कहा था - शैलेश मटियानी
तुमने कहा था - नागार्जुन
मैंने कब कहा - सर्वेश्वर दयाल सक्सेना
तुमने क्यों कहा कि मैं सुंदर हूँ - यशपाल
उसकी कहानी - महेंद्र वशिष्ट
उसका विद्रोह - मृदुला गर्ग
उस रात की गंध - धीरेंद्र अस्थाना

नव भक्तमाल - राधाचरण गोस्वामी
उत्तरार्द्ध भक्तमाल - भारतेंदु
भक्तमाल - नाभा दास
भक्त नामावली  - ध्रुवदास

हिंदी साहित्य की प्रमुख त्रयी-

रीतिकालीन कवि त्रयी - केशव, बिहारी, भूषण
प्रगतिशील त्रयी - शमशेर बहादुर सिंह, नागार्जुन, त्रिलोचन
छायावाद की वृहद त्रयी - जयशंकर प्रसाद(ब्रह्मा), सुमित्रानंदन पंत (विष्णु), सूर्यकांत त्रिपाठी निराला(महेश)
छायावाद की लघुत्रयी या वर्मा त्रयी - महादेवी वर्मा, रामकुमार वर्मा, भगवतीचरण वर्मा
मिश्रबंधु की वृहदत्रयी - तुलसीदास, सूरदास, देव
मिश्र बंधु की मध्य त्रयी - बिहारी, भूषण, केशव

मिश्रबंधु की लघुत्रयी – मतिराम, चंद्रवरदाई, हरिश्चंद्र

शतक त्रयी – नीतिशतक, श्रंगार शतक, वैराग्य शतक

नई कहानी आंदोलन की यशस्वी त्रयी - राजेंद्र यादव, कमलेश्वर, मोहन राकेश

भारतीय पत्रकारीता त्रयी - राजेंद्र माथुर, मनोहर श्याम जोशी, अज्ञेय

०त्रयी पुस्तक के लेखक आचार्य जानकी बल्लभ शास्त्री है!!

युगधारा - नागार्जुन
युगधारा - सोहनलाल द्विवेदी

कवि कुल कल्पतरु - चिंतामणि
कवि कल्पद्रुम - द्विजदेव
कवि कुल कंठाभरण - दूल्ह
कविक विकल्पद्रुम कल्पद्रुत् - श्रीपति
कल्पनिरुक्त - विनयचंद सूरी

एक पत्नी के नोट्स  - ममता कालिया
एक पति के नोट्स - महेंद्र भल्ला
पेरिस के नोट्स - रामकुमार वर्मा
एकलव्य के नोट्स - फणीश्वर नाथ रेणु
एक कस्बे के नोट्स - निलेश रघुवंशी

काव्यलोक - रामदरश मिश्र
काव्य विवेक - चिंतामणि
काव्यप्रकाश - चिंतामणि
काव्य सरोज - श्रीपति
काव्य निर्णय - भिखारीदास
काव्य कलाधर - रघुनाथ
काव्य विलास - प्रताप शाही
काव्य विनोद - प्रताप शाही
काव्य रसायन - देव
शब्द रसायन - देव
काव्य सिद्धांत - सुरती मिश्र



धूप के धान (काव्य) - गिरिजा कुमार माथुर
धूप की उंगलियों के निशान( कथा संग्रह) - महीप सिंह
धूप कोठरी के आइने में खड़ी( काव्य) - शमशेर बहादुर सिंह
सीढ़ियों पर धूप (काव्य ) - रघुवीर सहाय
धूप में जगरूप सुंदर( काव्य) - त्रिलोचन
साए में धूप (गजल) - दुष्यंत कुमार
धूप के हस्ताक्षर( ग़ज़ल) - ज्ञान प्रकाश विवेक
पक गई धूप( काव्य) - रामदरश मिश्र
उभरती हुई धूप (उपन्यास) - गोविंद मिश्र
टहनियों पर धूप (कहानी ) - मेहरून्निसा परवेज
धूप की तलवार (कविता) - केदारनाथ अग्रवाल
बाहर धूप खड़ी है  - विज्ञान व्रत
हवा में हस्ताक्षर - कैलाश बाजपेई
श्रंगार निर्णय - भिखारीदास
श्रंगार विलाश - सोमनाथ
श्रंगार मंजरी - चिंतामणि
श्रृंगार मंजरी  - प्रताप शाही
श्रंगार शिरोमणि - प्रताप साही
श्रृंगार मंजरी - यशवंत सिंह
श्रृंगार भूषण  - बेनी प्रवीन
श्रंगार लतिका - द्विज देव
श्रृंगार चालीसा  - द्विज देव
श्रृंगार बत्तीसी - द्विजदेव
श्रृंगार लता - सुखदेव
श्रृंगार सोरठा - रहीम
श्रंगार सागर - मोहनलाल मिश्र
श्रंगार रस माधुरी - कृष्णभट्ट देव ऋषि
बिहारी और देव - भगवानदीन
देव और बिहारी - कृष्ण बिहारी
प्राकृत पैंगलम ग्रंथ - लक्ष्मीधर
प्राकृत पैंगलम की टीका - वंशीधर
भरतेश्वर बाहुबली रास - शालिभद्र सूरि
भरतेश्वर बाहुबली घोर रास - ब्रिजसेन सूरी
गुनाहो की देवी - याद्वेन्द्र शर्मा
गुनाहों का देवता - धर्मवीर भारती
फूलों का गुच्छा - भारतेंदु
फूलों का कुर्ता - यशपाल
हार की जीत - सुदर्शन
हार जीत  - भगवती प्रसाद बाजपेई
शरणदाता, शरणार्थी - स. हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय
शरणागत - वृंदावन लाल




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